दिल्ली हिंसा पर हंगामा, राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार तक स्थगित

Webdunia
सोमवार, 2 मार्च 2020 (14:21 IST)
नई दिल्ली। पिछले दिनों दिल्ली में हुई हिंसा के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए विपक्ष ने सोमवार को संसद में भारी हंगामा किया तथा लोकसभा में हंगामे के दौरान एक बार सत्तापक्ष एवं विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच धक्का मुक्की भी हुई। हंगामे के कारण लोकसभा को तीन बार और राज्यसभा को एक बार के स्थगन के कारण पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
 
 
बजट सत्र के दूसरे चरण में पहले दिन विपक्षी सदस्यों के हंगामे और नारेबाजी के कारण राज्यसभा में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया। हालांकि लोकसभा में प्रश्नकाल और शून्यकाल इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि सदन की बैठक को वर्तमान सदस्य जदयू के वैद्यनाथ प्रसाद महतो के गत दिनों हुए निधन के कारण दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
 
 
हंगामे के बीच लोकसभा में सरकार की ओर से गर्भ का चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2020 और खनिज विधि संशोधन विधेयक 2020 पेश किए गए। राज्यसभा में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक को मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने चर्चा एवं पारित करने के लिए रखा। भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने इस पर चर्चा में भाग लिया। किंतु हंगामे के कारण इस विधेयक पर चर्चा को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
 
 
लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली में पिछले दिनों हुई हिंसा को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए भारी हंगामा किया और इस दौरान कांग्रेस एवं भाजपा सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
 
 
अध्यक्ष ओम बिरला ने इस घटनाक्रम पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, ‘हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि सदन की मर्यादा को बनाए रखा जाए। जो कुछ भी आज सदन में हुआ, उससे मैं व्यक्तिगत रूप से काफी दुखी हूं। मैं ऐसी परिस्थिति में सदन नहीं संचालित करना चाहता।’ उन्होंने कहा कि सदन सभी का है, वरिष्ठ सदस्य सहित सभी विचार कर लें कि सदन की एक मर्यादा बन जाए और सदन ठीक से चले। मैं चाहूंगा कि सदन जब ठीक से चले तभी चलाया जाए।
 
 
इससे पहले सदन की कार्यवाही दो बजे शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आवश्यक कागजात सभा पटल पर रखवाए। इस दौरान कांग्रेस एवं द्रमुक सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाने लगे।
 
 
कांग्रेस के कुछ सदस्य काले रंग का एक बैनर ले कर आ गए जिस पर गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग की गई थी। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि वह कांग्रेस सदस्यों के इस व्यवहार की निंदा करते हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाने का आग्रह किया।
 
 
जोशी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इन लोगों ने दंगे भड़काए हैं। उन्होंने दावा किया कि इन लोगों ने 1984 में 3000 लोगों की हत्या की और जांच भी नहीं कराई। अभी शांति कायम करना प्राथमिकता होनी चाहिए लेकिन ये तनाव पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। हंगामे के बीच ही अध्यक्ष ने ‘प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020’ पर चर्चा शुरू करवाने का निर्देश दिया। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक चर्चा एवं पारित होने के लिए रखा।
 
 
भाजपा के संजय जायसवाल जब विधेयक पर चर्चा में हिस्सा ले रहे थे तभी कांग्रेस के गौरव गोगोई और रवनीत सिंह बिट्टू ‘गृहमंत्री इस्तीफा दो’ लिखा बैनर लेकर सत्तापक्ष की सीटों के पास आ गए। फिर विपक्ष के सदस्य जायसवाल के सामने बैनर लेकर आ गए जो उस समय विधेयक के बारे में बोल रहे थे।
 
 
जायसवाल को इस तरह से बाधित किए जाने का भाजपा सदस्यों ने विरोध किया। भाजपा के निशिकांत दूबे और रमेश बिधूड़ी सहित कुछ सदस्यों को कांग्रेस सदस्यों से वहां से जाने को कहते हुए देखा गया। किंतु जब विपक्ष के सदस्य वहां से नहीं हटे तो सत्ता पक्ष के कुछ सदस्य उन्हें वहां से हटाने की मांग करते हुए उनके पास गए। इसके बाद कांग्रेस एवं भाजपा सदस्यों में धक्का-मुक्की शुरू हो गई।
 
 
इस दौरान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और स्मृति ईरानी को आपस में उलझे विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच बचाव करते देखा गया। विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की बैठक अपराह्न तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
 
 
तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। इस दौरान कांग्रेस सदस्य राम्या हरिदास सत्ता पक्ष की सीट की तरफ से आसन की ओर बढ़ रही थीं। इस दौरान भाजपा की शोभा करंदलाजे को उन्हें आगे बढ़ने से रोकते हुए देखा गया। इस बीच पीठासीन सभापति रमादेवी द्वारा अपराह्न तीन बजे सदन की बैठक एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गयी। रमा देवी ने कांग्रेस सदस्यों से नाराजगी जताते हुए कहा कि आप लोगों ने बहुत गलत किया है।
 
 
इसके बाद भी कांग्रेस सदस्य राम्या हरिदास और भाजपा की कुछ सदस्यों के बीच बहस होते देखी गयी। शाम चार बजे लोकसभा की कार्यवाही पुन: शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों का शोर शराबा जारी रहा। पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए साढ़े चार बजे तक स्थगित कर दी। साढ़े चार बजे कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन के घटनाक्रम पर दुख प्रकट किया और दिनभर के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी।
 
 
राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने बैठक शुरू होने पर सूचीबद्ध दस्तावेज सदन पटल पर प्रस्तुत कराने के बाद बताया कि उन्हें विभिन्न दलों के सदस्यों की ओर से दिल्ली और देश के अन्य इलाकों में कानून व्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर चर्चा कराने की मांग कराने संबंधी नोटिस मिले हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि यह विषय महत्वपूर्ण है इसलिए इस पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन दिल्ली में अब सामान्य हालात बहाल हो गए हैं।
 
 
नायडू ने कहा कि वह इस विषय पर नेता सदन, नेता प्रतिपक्ष और संबद्ध मंत्रियों से विचार-विमर्श करने के बाद ही चर्चा का समय तय करेंगे। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर इसका विरोध करते हुए इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की।
 
 
आजाद ने कहा कि अगर सामान्य हालात बहाल करने में सरकार की रुचि होती तो हिंसा शुरु होने के बाद तीन दिन तक सरकार निष्क्रिय न रहती। आजाद के इस कथन का विरोध करते हुए नेता सदन थावर चंद गहलोत ने कहा कि सरकार की सक्रियता के कारण ही दिल्ली में कानून व्यवस्था की सामान्य स्थिति बहाल हुई है और अब सभी इलाकों में शांति है।
 
 
इस बीच तृणमूल कांग्रेस की शांता क्षेत्री सहित पार्टी के तीन सदस्य आंख पर काली पट्टी बांधकर अपने स्थान पर खड़े हो गये। नायडू ने कहा कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन की सदन में अनुमति नहीं दी जा सकती।
 
 
सदन में चर्चा कराने की मांग करते हुये आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और कांग्रेस के कुछ सदस्यों के आसन के करीब बढ़ने के बीच नायडू ने सदन की बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
 
 
दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक को चर्चा एवं पारित कराने के लिए पेश करने का निर्देश दिया। इसी बीच आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस और कई वाम सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे।
 
 
हंगामे के बीच ही मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने विधेयक को चर्चा के लिए रखा। इसके बाद भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने विधेयक पर चर्चा में भाग लिया किंतु हंगामे के कारण उनकी बात स्पष्ट सुनी नहीं जा सकी। इस बीच जारी हंगामे को थमते न उपसभापति ने बैठक को दोपहर करीब ढाई बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया था।

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