नायडू ने यहां पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्रकुमार गुजराल के सम्मान में एक स्मारिका डाक टिकट जारी करते हुए कहा कि राजनेताओं को अपने विरोधियों को प्रतिस्पर्धी और शत्रु नहीं मानना चाहिए बल्कि उन्हें आपस में अच्छे संबंध बनाने चाहिए। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से 'राष्ट्र प्रथम' की नीति का पालन करते हुए कहा कि उन्हें अपने मतभेदों को एक तरफ रखकर राष्ट्रीय हित में विदेश नीति का समर्थन करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्व की आबादी में दक्षिण एशियाई क्षेत्र का योगदान एक चौथाई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) क्षेत्रीय समूह इस क्षेत्र में समृद्धि और लोगों के बेहतर जीवन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी और जीवंत संगठन बन सकता है, लेकिन इसके लिए सभी देशों को आतंकवाद के समाप्त करने की दिशा में एकसाथ मिलकर ईमानदारी से प्रयास करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जब तक आतंकवाद को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक यह संकट लोगों के समृद्ध जीवन के लिए किए जाने वाले सभी प्रयासों को निष्फल करता रहेगा। भारत हमेशा अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखने में विश्वास करता है, लेकिन दुर्भाग्य से हम पिछले कई वर्षों से सरकार प्रायोजित और सीमापार आतंकवाद का सामना कर रहे हैं। (वार्ता)