नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात के 99वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक मेडिकल साइंस के इस दौर में अंगदान किसी को जीवन देने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है। कहते हैं, जब एक व्यक्ति मृत्यु के बाद अपना शरीर दान करता है तो उससे 8 से 9 लोगों को एक नया जीवन मिलने की संभावना बनती है।
उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के बीच, मेरा देशवासियों से आग्रह है कि अंग दाता ज्यादा से ज्यादा संख्या में आगे आएं। आपका एक फैसला कई लोगों की जिंदगी बचा सकता है, जिंदगी बना सकता है। अंगदान करने वाला ईश्वर स्वरूप है।
उन्होंने कहा कि आज देश में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और पिछले 10 सालों में अंगदान करने वालों की संख्या में तीन गुनी वृद्धि हुई है। साल 2013 में हमारे देश में अंगदान के 5,000 से भी कम मामले थे लेकिन 2022 में यह संख्या बढ़कर 15 हजार से ज्यादा हो गई है। अंगदान करने वाले व्यक्तियों ने, उनके परिवार ने, वाकई बहुत पुण्य का काम किया है।
किन अंगों और ऊतकों को दान किया जा सकता है? : सबसे पहले बता दें कि अंग (organ) और ऊतक (tissue ) दोनों अलग - अलग चीजें होती है। अंग शरीर का एक हिस्सा होता है। जो विशिष्ठ प्रकार का कार्य करते हैं। अंग में ह्दय, फेफड़े, गूर्दे, यक़त और आंत प्रत्यारोपित और दान कर सकते हैं। वहीं ऊतक जो प्रत्यारोपित हो सकते हैं जैसे - अस्थ्यिां, कार्निया, ह्दय वॉल्व, नसें, त्वचा, रक्त वाहिकाएं और कण्डरा।
किसी भी व्यक्ति की मौत के बाद किडनी को 6-12 घंटे, लीवर को 6 घंटे, दिल को 4 घंटे, पेंक्रियाज को 24 घंटे, टिश्यू को करीब 4 से 5 साल सुरक्षित रखा जा सकता है। अगर प्राकृतिक मृत्यु होती है तो कॉर्निया, दिल के वॉल्व और हड्डी को दान किया जा सकता है। वहीं 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भी ऑर्गन डोनेशन किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए माता-पिता की अनुमति होना आवश्यक है। वहीं कैंसर, एचआईवी, मधुमेह, ह्दय के मरीज होने पर अंगदान करने से पहले डॉक्टर से जरूर चर्चा करें।