नई दिल्ली। हमारे यहां सरकारी तंत्र कितना लापरवाह है, इसका एक उदाहरण सामने आया है। कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारतीय खाद्य निगम ने करीब 700 करोड़ रुपए का चार लाख 72 हजार टन गेहूं सड़ा दिया। यह उस देश के लिए दिल दुखाने वाले खबर है जहां करीब 20 करोड़ लोग भुखे सोने पर मजबूर होते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च 2016 तक पंजाब में 53 लाख 56 हजार टन गेहूं का भंडारण कच्चे चबूतरों पर किया गया था, जिनमें से सात सौ करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के 4 लाख 72 हजार टन गेहूं को जारी नहीं करने योग्य घोषत कर दिया गया। निजी उद्यमी गारंटी योजना के कार्यान्वयन में विलम्ब के कारण राज्य की एजेंसियों और एफसीआई ने खुले में भारी मात्रा में गेहूं का भंडारण कर दिया था।
इसी प्रकार 2011-12 में 103.36 लाख टन गेहूं का भंडारण खुले में किया गया, जो 2012-13 में बढकर 132.68 लाख टन हो गया। वर्ष 2013-14 के बाद से इस योजना के तहत गोदामों के अधिग्रहण के बाद खुले में भंडारण कम होना शुरू हुआ वर्ष 2011-12 में कुल ढंकी हुई भंडारण क्षमता 73 लाख 84 हजार टन थी जो 2015-16 102 लाख 29 हजार टन हो गई।
एफसीआई के भाड़े पर गोदामों को लेने के कारण 2012-13 में भंडारण क्षमता 52 लाख 48 हजार टन थी, लेकिन बाद में उसने किराए के गोदामों की संख्या में कमी कर दी जिसके कारण 2015-16 में यह क्षमता घटकर 39 लाख 26 हजार टन रह गई। (भाषा)