महाराष्ट्र में महायुति की महाविजय के बाद भी मुख्यमंत्री चेहरे पर क्यों फंसा पेंच?

विकास सिंह

बुधवार, 27 नवंबर 2024 (14:15 IST)
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन की महाविजय के पांच दिन बाद भी नई सरकार के गठन और मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। चुनाव नतीजों के पांच दिन बाद भी महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा और इसका फैसला कब होगा, यह सवाल अब मुंबई से दिल्ली तक गूंज रहा है। वहीं मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर अब महायुति गठबंधन में दरार भी आती हुई दिख रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से खबर है कि शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर सरकार को बाहर से समर्थन देने की बात कह कर अपने तेवर दिखा दिए है। शिंदे गुट ने साफ कर दिया है कि बड़ी पार्टी के पास मुख्यमंत्री का चेहरा जाएगा, ऐसा कोई फॉर्मूला पहले से तय नहीं था।

एकनाथ शिंदे बनाम देवेंद्र फडणवीस?–महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री की रेस में भाजपा की ओर से देवेंद्र फडणवीस का नाम सबसे आगे है,तो वहीं दूसरी मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है, इसी को लेकर सबसे बड़ा पेंच फंस गया है। दरअसल विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं घोषित किया था और चुनाव से पहले एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस दोनों ने खुद को मुख्यमंत्री की रेस में नहीं माना था।

वहीं विधानसभा चुनाव नतीजों में महायुति गठबंधन की प्रचंड जीत के बाद शिवसेना और भाजपा दोनों ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी ठोंक दी है। एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना के नेता जहां चुनाव में गठबंधन की जीत का श्रेय मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना को बता रहे है, वहीं भाजपा इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और देवेंद्र फडणवीस की मेहनत को बता रहे है। यहीं कारण है कि दोनों ही दलों के नेता और कार्यकर्ता अपने-अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे है।

पांच दिन बाद भी मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर बने गतिरोध को खत्म करने के लिए भाजपा अब गठबंधन के तीनों सहयोगी दलों के साथ चर्चा कर रही है। वहीं भाजपा अपने विधायका मत जनाने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक मुंबई भेजने जा रही है।

मंत्रिमंडल और विभागों को लेकर भी फंसा पेंच?-महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की बंपर जीत के बाद नई सरकार के गठन में मुख्यमंत्री चेहरे के साथ मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले चेहरे और विभागों के बंटवारे को लेकर भी मतभेद नजर आ रहा है। अगर मुख्यमंत्री का पद भाजपा के खाते में जाता है तो शिवसेना और एनसीपी अपने लिए बड़े और मलाईदार विभाग चाह रही है। वहीं भाजपा किसी भी हालात में बड़े और महत्वपूर्ण विभाग अपने हाथों से नहीं जाने देना चाहती है। इसलिए महाराष्ट्र में महायुति की बंपर जीत के पांच दिन बाद नई सरकार के गठन और मुख्यमंत्री का चेहरा फाइनल नहीं हो सका है। 

वहीं अगर देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनते है तो वर्तमान कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और एनसीपी प्रमुख अजित पवार की नई सरकार में क्या भूमिका होगी, इस पर भी सस्पेंस बना हुआ है। अगर यह दो बड़े नेता डिप्टी सीएम बनते है तो इनके पास क्या विभाग होंगे, इस पर भी सबकी नजरें होगी। वहीं मंत्रिमंडल में भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के कितने-कितने मंत्री होंगे, इस पर भी सस्पेंस बना हुआ है।

सीएम चेहरे में फंसा जातीय समीकरण?-महाराष्ट्र में नए सीएम चेहरे के चयन में देरी का एक बड़ा कारण जातीय समीकरण भी है। महाराष्ट्र में जिस तरह से मराठा आंदोलन तेज पकड़ता जा रहा है, ऐसे में प्रचंड जीत के बाद भी भाजपा के लिए मराठा चेहरे एकनाथ शिंदे को दरकिनार करना आसान नहीं होगा। वहीं भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री के दावेदार देवेंद्र फडणवीस अगड़े समुदाय से आते है और उनकी पार्टी  संगठन में मजबूत पकड़ है, ऐसे में अगर भाजपा किसी ओबीसी चेहरे को आगे करती है तो उसके सामने यह भी उतना आसान नहीं होगा।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी समुदाय अब आमने सामने आ चुके है, और मराठा को तगड़े वोट बैंक और उनके चुनाव में खुलकर भाजपा के साथ आ जाने से अब भाजपा मराठा वर्ग को नाराज नहीं करना चाह रही है, वहीं इस बार विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोटर्स जिस तरह से भाजपा के समर्थन में आया है उसे भाजपा महाराष्ट्र की राजनीति में अपने लिए एक शुभ संकेत के तौर पर देख रही है।

महाराष्ट्र में लागू होगा मध्यप्रदेश फॉर्मूला?-महाराष्ट्र में क्या भाजपा मध्यप्रदेश वाला फॉर्मूला लागू करने जा रही है, सियासी गलियारों में यह अटकलें लगाई जाने जा रही है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन मे चुनाव लड़ने वाली भाजपा ने 132 सीटें जीतकर अपने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए है। महाराष्ट्र में भाजपा की प्रचंड जीत का सेहरा देवेंद्र फडणवीस के सिर बंधा जा रहा है और उनके समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे है।

देवेंद्र फडणवीस भले ही मुख्यमंत्री की रेस में आगे चल रहे हो लेकिन पार्टी आलाकामन ने अब तक उनके नाम को हरी झंडी नहीं दी है। ऐसे में सवाल यहीं उठ रहा है कि क्या भाजपा आलाकमान देवेंद्र फडणवीस की जगह किसी नए चेहरे को राज्य की कमान सौंप सकता है, जैसा उसने मध्यप्रदेश में किया था। क्या महाराष्ट्र में भाजपा मध्यप्रदेश की तरह किसी ओबीसी चेहरे को आगे करेगी, यह भी बड़ा सवाल है।

दरअसल पिछले साल हुए मध्यप्रदेश चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत का पूरा क्रेडिट शिवराज सिंह चौहान को दिया गया था, लेकिन पार्टी आलकमान ने डॉ. मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बना कर सभी को चौंका दिया था। अब क्या मध्यप्रदेश में सीएम चयन वाला फॉर्मूला अब भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व महाराष्ट्र में लागू करना जा रहा है, यह देखना दिलचस्प होगा।
 

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