लद्दाख के रहने वाले मशूहर शिक्षाविद, इंजीनियर और आविष्कारक सोनम वांगचुक का नाम और काम आज देश ही नहीं, विश्व में भी किसी पहचान का मोहताज नहीं है।
आमिर खान की हिट फिल्म फिल्म '3 इडियट्स' के किरदार 'फुनशुक वांगड़ू' से देश के घर-घर तक पहुंचने वाले सोनम वांगचुक चमक-दमक से दूर रहकर अपने काम में जुटे रहते हैं।
लद्दाख को अलग केन्द्र शासित प्रदेश बनाने के बाद एक बार फिर महान इनोवेटर सोनम वांगचुक की चर्चा है। हर कोई यह जानना चाह रहा है कि नए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के विकास को लेकर उनका क्या विजन है?
'वेबदुनिया' के पॉलिटिकल एडिटर ने मशहूर आविष्कारक सोनम वांगचुक से लद्दाख को लेकर एक विस्तृत बातचीत की। लद्दाख को विश्व के मानचित्र पर एक अलग ही पहचान देने वाले रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता सोनम भी लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने पर बहुत खुश हैं।
वेबदुनिया से एक्सक्लूसिव बातचीत में वांगचुक कहते हैं कि अनुच्छेद 370 और 35A हटाकर केंद्र शासित बनाए जाने से लद्दाख के लोगों की सालों पुरानी मांग पूरी हो चुकी है और आज लोग खुश हैं।
लद्दाख को अलग करने का फैसला सही : सोनम वांगचुक लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करने के फैसले को पूरी तरह सही ठहराते हैं। वह कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भाषा से लेकर पर्यावरण तक में बड़ा अंतर है। सोनम उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जब वह छोटे थे तो देखते थे कि लद्दाख की भाषा, संस्कृति और प्रकृति को ध्यान में नहीं रखा जाता था।
लद्दाख में उर्दू नहीं बोली जाती थी, लेकिन स्कूलों में उर्दू की पढाई होती थी। कहीं भी लद्दाख की जरूरत को ध्यान में नहीं रखा जाता था इसलिए लद्दाख के अलग होने से अब इसके विकास का मार्ग खुलेगा।
लद्दाख कहीं बन न जाए पैसा बनाने की खान : सोनम वांगचुक जहां एक ओर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर खुश दिखाई देते हैं, वहीं दूसरी ओर उनके मन में एक डर भी है।
बदले हालात में लद्दाख की पर्यावरण और इकोलॉजी को लेकर वह थोड़े चितिंत भी दिखाई देते हैं। वह अब लद्दाख के लिए विशेष तरह के पर्यावरणीय प्रोटेक्शन की मांग कर रहे हैं।
वेबदुनिया के इस सवाल पर कि क्या अब लद्दाख जब केंद्र शासित प्रदेश बन गया है तो वहां जो औद्योगिक निवेश होगा, उससे लद्दाख को नुकसान होगा? इसके जवाब में वांगचुक कहते हैं कि इसकी आंशका अब ज्यादा है, क्योंकि अब लद्दाख में कोई प्रोटेक्शन नहीं है, जो पहले 370 और 35A के तहत था, अब वैसा कोई कवच नहीं है।
ऐसे में अब उनको लद्दाख की संस्कृति और पंरपरा से ज्यादा पर्यावरण की चिंता है। वह कहते हैं कि संस्कृति तो आदिकाल से लोगों के मिलने और बिछड़ने से बनती और बिगड़ती रहती है।
यह है सोनम की बड़ी चिंता : सोनम वांगचुक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कहते हैं कि अब केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद इस मरुस्थल (लद्दाख) में अगर लोग यह देखें कि यहां पर खनन, पर्यटन, उद्योग स्थापित कर बहुत पैसा बनाया जा सकता हैं तो इससे यहां का नाजुक पर्यावरण बिगड़ जाएगा।
सोनम चेताते हुए कहते हैं कि ऐसी औद्योगिक प्रगति का भी क्या फायदा जिससे हमारा पानी ही खत्म हो जाए औऱ लोग भूख के शिकार हों, इसलिए हमें आज इन नाजुक जगहों की फिक्र करनी होगी।
माउंटेन ईको सिस्टम प्रोटेक्शन की वकालत : वेबदुनिया से बातचीत में सोनम वांगचुक कहते हैं कि अब लद्दाख के लिए जनजातीय क्षेत्रों की तरह विशेष पर्यावरणीय प्रोटेक्शन (सेफगार्ड) की जरूरत है। वह कहते हैं कि देश की आजादी के बाद जो भी ट्राइबल एरिया घोषित किए गए हैं वह संस्कृति के हिसाब से बनाए गए न कि प्रकृति के हिसाब से।
अब तक संस्कृति के हिसाब से ट्राइबल एरिया घोषित करने वाली सोच रही है। यह सोच और सुरक्षा 40-50 साल पहले की परिस्थितियों के हिसाब से थी। उस समय संस्कृति के खतरे का अधिक आभास था न कि प्रकृति के खतरे का आभास। लेकिन आज के दौर में ग्लोबल वॉर्मिंग और अन्य कारणों के चलते चलते प्रकृति को सबसे बड़ा खतरा हो गया है जिसके चलते आज सरकार को ट्राइबल कल्चर प्रोटेक्शन से ज्यादा माउंटेन ईको सिस्टम प्रोटेक्शन के नए प्रावधान बनाने होंगे।
बातचीत में वह जोर देते हुए कहते हैं कि आज वक्त के अनुसार प्रावधान बदलना भी जरूरी हो गया है। उस समय संस्कृति महत्वपूर्ण दिखी होगी तो ट्राइबल कल्चर को बचाने के लिए नियम बनाए गए, आज संस्कृति के साथ-साथ उससे कहीं अधिक पहाड़ों में प्रकृति के संरक्षण की जरूरत है। ऐसे संरक्षण के प्रावधान जो लद्दाख के साथ सभी ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र में लागू हों।
पीएम मोदी के सामने रखना चाहते हैं प्रस्ताव : वेबदुनिया के इस सवाल पर कि क्या वह अब केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की नाजुक पर्यावरणीय इकोलॉजी को बचाए रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे? इसके उत्तर में सोनम वांगचुक कहते हैं कि वह लद्दाख के लोगों के तरफ से प्राकृतिक संरक्षण के प्रवाधान जो लद्दाख के साथ-साथ पूरे हिमालय क्षेत्र के लिए होना चाहिए, प्रधानमंत्री को देना चाहेंगे।
सोनम वांगचुक साफ कहते हैं कि यह इसलिए भी जरूरी है कि लोग यह नहीं समझेंं कि लद्दाख के लोग किसी और को नहीं आने देना चाहते हैं। वह कहते हैं कि वह चाहते हैं कि लद्दाख के स्थानीय लोग भी ऐसे काम नहीं करें जिससे यहां की नाजुक प्रकृति बिगड़ जाए। वह चिंता जताते हुए कहते हैं कि पहले ही डीजल की टैक्सी में पर्यटकों को ग्लेशियर्स तक लेकर जाने से माहौल बिगड़ रहा है। ऐसे अब जब बाहर के लोग अगर आकर माहौल बिगाड़ने लगेंगे तो सोचिए प्रकृति की हालत क्या होगी?
सोनम वांगचुक वेबदुनिया से बातचीत के अंत में कहते हैं कि नए लद्दाख में बहुत सोच-समझकर निवेश करना होगा और आगे बढ़ना होगा।
POK के गिलगित-बाल्टिस्तान पर क्या कहते हैं सोनम, पढ़िए अगली कड़ी में...