Yamuna's water level came below: दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बुधवार सुबह खतरे के निशान 205.33 मीटर से नीचे आ गया, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी और ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर भारी वर्षा के चलते इसके दोबारा बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) के आंकड़ों के मुताबिक सुबह 9 बजे लोहे के पुराने रेलवे पुल पर जलस्तर 205.09 मीटर दर्ज किया गया।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों से पता चलता है कि बुधवार सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक पिछले 24 घंटे की अवधि में सफदरजंग मौसम केंद्र पर 37.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। इसी तरह लोधी रोड में 35.1, आयानगर में 26, मुंगेशपुर में 53.5 और मयूर विहार के मौसम केंद्र 110.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
आईएमडी ने 27 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश का पूर्वानुमान जताया है। यमुना का जलस्तर 13 जुलाई को 208.66 मीटर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था और उसके बाद से बार-बार जलस्तर में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के बाद हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद रविवार को दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया था। रेलवे को रविवार रात लोहे के पुराने पुल पर ट्रेनों की आवाजाही रोकनी पड़ी थी।
अधिकारियों ने बताया कि नदी के जलस्तर में वृद्धि से राष्ट्रीय राजधानी के बाढ़ प्रभावित इलाकों में चल रहे राहत और पुनर्वास कार्य पर असर पड़ने की आशंका है। सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों के अनुसार यमुना में जलस्तर शनिवार रात 10 बजे 205.02 मीटर से बढ़कर सोमवार सुबह 3 बजे 206.57 मीटर हो गया और फिर गिरावट शुरू हो गई।
दिल्ली को इस महीने अभूतपूर्व जलभराव और बाढ़ से जूझना पड़ा। शुरुआत में 8 और 9 जुलाई को भारी बारिश के कारण बड़े पैमाने पर जलजमाव हुआ। इसके बाद हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा सहित यमुना के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण नदी के जलस्तर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।
नदी का जल 13 जुलाई को 208.66 मीटर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। इसने सितंबर 1978 में 207.49 मीटर के सबसे अधिक जलस्तर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। दिल्ली में यमुना के तटीय इलाकों में बाढ़ के कारण 27,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। बाढ़ के कारण करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों ने इसके लिए नदी के बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण, थोड़े समय में अत्यधिक वर्षा और गाद जमा होने को जिम्मेदार ठहराया था।(भाषा)