Anant chaturdashi 2024: अनंत चतुर्दशी के दिन बाजू पर धागा क्यों बांधते हैं, बाद में क्या करें उस धागे का?

WD Feature Desk

मंगलवार, 17 सितम्बर 2024 (12:56 IST)
Anant chaturdashi 2024: अनंत चतुर्दशी के दिन श्री हरि विष्णु की अनंतरूप की पूजा का विधान होता है। भगवान विष्णु के सेवक भगवान शेषनाग का नाम अनंत है। 17 सितंबर 2024 को अनंत चतुर्दशी है और पूर्णिमा का श्राद्ध भी है। इसी दिन गणेश विसर्जन भी हो रहा है।  अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है। इस दिन महिलाएं अपने बाजू पर एक धागा बांधती है। यह धागा क्या होता है, इसका महत्व क्या है और बाद में इस धागे का क्या करते हैं।ALSO READ: Anant Chaturdashi Muhurat 2024: अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
 
इस तरह बांधें अनंत सूत्र:-
1. इस दिन अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व होता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है।
 
2. इस दिन कच्चे धागे से बने 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है। इस धागे को बांधने की विधि और नियम का पुराणों में उल्लेख मिलता है।
 
3. अनंत चतुर्दशी का व्रत और अनंत सूत्र बनाने की विधि बताते हुए भगवान कृष्ण कहते हैं कि भाद्रपद की शुक्ल चतुर्दशी को कच्चे धागे में 14 गांठ लगाकर उसे कच्चे दूध में डूबोकर ॐ अनंताय नम: का मंत्र जपते हुए भगवान‍ विष्णु की विधिवत रूप से पूजा करना चाहिए।
 
4. इस अनंत सूत्र को पुरुषों को दाएं और महिलाओं को बाएं बाजू में बांधना चाहिए। आजकल बाजार में बने बनाएं अनंत सूत्र मिलते हैं जिनकी विधिवत पूजा करके बांधा जाता है। 
 
5. अनंत सूत्र (शुद्ध रेशम या कपास के सूत के धागे) को हल्दी में भिगोकर 14 गांठ लगाकर तैयार किया जाता है। इसे हाथ या गले में ध्यान करते हुए धारण किया जाता है। हर गांठ में श्री नारायण के विभिन्न नामों से पूजा की जाती है। पहले में अनंत, श्री अनंत भगवान का पहले में अनंत,उसके बाद ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द की पूजा होती है।ALSO READ: Anant Chaturdashi 2024: अनंत चतुर्दशी पर क्यों और कैसे करते हैं भगवान अनंत की पूजा, जानिए अचूक उपाय
 
अनंत सूत्र बांधने के फायदे:-
1. इसे धारण करने के बाद 14 दिन तक तामसिक भोजन नहीं करते हैं और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं तभी इसका लाभ मिलता है।
 
2. कहते हैं कि कौडिल्य ऋषि ने इस धागे को अपनी पत्नी के बाजू में बंधा देखा तो इसे जादू टोना मानकर उनके बाजू से निकालकर इसे जला दिया था। इसके ऋषि को भारी दु:खों का सामना करना पड़ा था।
 
3. भूल का पता चलने पर उन्होंने भगवान अनंत की 14 वर्षों तक तपस्या कि जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने फिर से उन्हें सुखी और धनपति बना दिया था।
 
4. इस सूत्र को बांधने से व्यक्ति को सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। यदि जीवन में सबकुछ खो चुके हो तो अनंत चतुर्दशी पर भगवान अनंत की विधिवत पूजा करके यह धागा अवश्य बांधें और नियमों का पालन करें तो फिर से सबकुछ प्राप्त हो जाएगा।
 
5. मान्यता है कि धागा बांधने के बाद इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है।ALSO READ: Anant Chaturdashi Muhurat 2024: अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
 
बाद में क्या करें धागे का : अनंत सूत्र को 14 दिनों तक बांधकर रखने के बाद उसे खोलकर किसी बहते जल में बहा देते हैं या पूजा के स्थान पर वर्षभर के लिए रख देते हैं।

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