आज मौनी अमावस्या, घर के मंदिर में करें 5 काम, देवताओं के साथ पितृ का भी मिलेगा आशीर्वाद

Webdunia
मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022 (09:38 IST)
Mauni Amavasya 2022: 1 फरवरी 2022 मंगलवार के दिन मौनी अमावस्या है। इस दिन स्नान, दान और श्राद्धकर्म करने का खासा महत्व है। आओ जानते हैं कि इस दिन पूजाघर में कौनसे 5 कार्य करने चाहिए कि देवी देवताओं सहित मिले पितृदेव का भी आशीर्वाद।
 
 
हमारे घर के मंदिर में अमावस्या के दिन श्रीहरि विष्णु, गंगा, सूर्यदेव, गणेशजी और पितृदेव की पूजा करना चाहिए। इसके साथ ही यथाशक्ति अन्न, गर्म वस्त्र, तिल गुड़, सीधा (आटा, दाल, घी, अनाज, शक्कर, मिष्ठान) या पांच तरह के अनाज का दान करना चाहिए।
 
पांच कार्य करें : 1.स्नान, 2.दान, 3.श्राद्ध, 4.व्रत और 5.पूजा का खास महत्व है।
 
पूजा घर में करें ये पांच कार्य : कच्चा दूध अर्पित करें, फल अर्पित करें, तिल अर्पित करें, अक्षत अर्पित करें, पितरों के निमित्त तर्पण करें।

 
1. श्रीहरि विष्णु : इस दिन विशेषकर भगवान विष्णु की पूजा होती है। श्रीहिर विष्णु की पूजा माता लक्ष्मी के साथ ही करना चाहिए। मान्यता है कि माघ माह में देवता धरती पर आकर मनुष्य रूप धारण करते हैं और प्रयाग में स्नान करने के साथ ही दान और जप करते हैं। इसीलिए प्रयाग में स्नान का खास महत्व है।
 
2. गंगा पूजा : माघ माह में गंगा पूजा और गंगा नदी में स्नान का महत्व सबसे ज्यादा माना गया है। पद्मपुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। 'प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापानुत्तये। माघ स्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानवः॥'
 
 
3. सूर्यदेव : माघ माह में सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं। इस माह में रथसप्तमी का त्योहार भी मनाया जाता है जिसमें सूर्यदेव की पूजा होती है। माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी इत्यादि नामों से जानी जाती है। शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है। इनकी उपासना से रोग मुक्ति आसान हो जाती है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी से संबंधित कथा का उल्लेख ग्रंथों में मिलता है।
 
 
4. गणेश पूजा : माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन तिल चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते है तथा भगवान श्रीगणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं। इस दिन गणेश कथा सुनने अथवा पढ़ने का विशेष महत्व माना गया है। व्रत करने वालों को इस दिन यह कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। तभी व्रत का संपूर्ण फल मिलता है।
 
 
5. पितृदेव पूजा : इस माह में पितरों के निमित्त तर्पण करने का महत्व बताया गया है। पितरों के देव अर्यमा की पूजा खासतौर पर की जाती है। माघ कृष्ण द्वादशी को यम ने तिलों का निर्माण किया और दशरथ ने उन्हें पृथ्वी पर लाकर खेतों में बोया था। अतएव मनुष्यों को उस दिन उपवास रखकर तिलों का दान कर तिलों को ही खाना चाहिए। साथ ही यमदेव की पूजा भी करना चाहिए।

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