Vaishakh Amavasya Ki Katha: वर्ष 2024 में 08 मई, बुधवार को वैशाख अमावस्या मनाई जा रही है। आइए यहां जानते हैं वैशाख कृष्ण अमावस्या का पौराणिक कथा के बारे में...
वैशाख अमावस्या की पौराणिक कथा के अनुसार बहुत समय पहले धर्मवर्ण नाम के एक विप्र थे। वह बहुत ही धार्मिक प्रवृति के थे।
एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से सुना कि घोर कलियुग में भगवान श्री विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है। जो पुण्य यज्ञ करने से प्राप्त होता था, उससे कहीं अधिक पुण्य फल नाम सुमिरन करने से मिल जाता है।
धर्मवर्ण ने इसे आत्मसात कर सन्यास लेकर भ्रमण करने निकल गए। एक दिन भ्रमण करते-करते वह पितृलोक जा पंहुचे। वहां धर्मवर्ण के पितर बहुत कष्ट में थे।
पितरों ने उन्हें बताया कि उनकी ऐसी हालत धर्मवर्ण के सन्यास के कारण हुई है, क्योंकि अब उनके लिए पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है।
यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करें।
पितरों के मुख से यह बात सुनकर धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेंगे। तत्पश्चात धर्मवर्ण अपने सांसारिक जीवन में वापस लौट आए और वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधानपूर्वक पिंडदान करके अपने पितरों को मुक्ति दिलाई। अत: हर व्यक्ति को अपने जीवन में अपने पितरों की मुक्ति के लिए अवश्य ही पिंडदान करना चाहिए।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।