केंद्रीय वन और पर्यावरण राज्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अनिल माधव दवे का गुरुवार यानी 18 मई को दिल्ली स्थित एम्स में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे ऐसे राजनेता थे, जिनका पूरा जीवन पर्यावरण संरक्षण और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा।
वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे, जिससे भाजपा में उनके राजनीतिक सफर का आगाज हुआ। वे 2009 से ही राज्यसभा में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते आ रहे थे। उन्होंने 5 जुलाई 2016 को केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाला था।
अनिल माधव दवे आरएसएस में प्रचारक का दायित्व संभाल चुके थे। उन्होंने सिंहस्थ, विश्व हिंदी सम्मेलन जैसे आयोजनों को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। मध्यप्रदेश में भाजपा को सत्ता में लाने में उनका बड़ा योगदान रहा। नर्मदा नदी संरक्षण कार्यों से दवे को एक अलग पहचान मिली थी।
दवे पर्यावरण मंत्री बनने से पहले ही पर्यावरण संरक्षण के अभियान में काफी सक्रिय रहे थे। नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए उन्होंने अपना एक संगठन बना रखा था। वह पर्यावरण के क्षेत्र में काफी अध्ययन करते थे और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते का भारत की ओर से अनुमोदन किए जाने में दवे ने अहम भूमिका निभाई थी। प्रधानमंत्री की पर्यावरण से जुडी योजनाओं में वह एक प्रमुख नीतिकार और सलाहकार थे।