AI कैमरे कर रहे महाकुंभ में भीड़ का सटीक आकलन
महाकुंभ 2025 में भीड़ की गिनती के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया है। पूरे मेला क्षेत्र में हजारों की संख्या में AI-बेस्ड कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे न केवल लोगों की संख्या गिनते हैं बल्कि यह भी पता लगाते हैं कि भीड़ कहाँ पर अधिक केंद्रित है।
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चेहरे की पहचान: ये कैमरे लोगों के चेहरे को स्कैन करते हैं और एक ही व्यक्ति को बार-बार नहीं गिनते हैं।
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भीड़ का घनत्व: ये कैमरे भीड़ के घनत्व को मापते हैं, जिससे यह पता चलता है कि किसी विशेष क्षेत्र में कितने लोग हैं।
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रियल-टाइम डेटा: ये कैमरे रियल-टाइम में डेटा प्रदान करते हैं, जिससे प्रशासन को भीड़ को नियंत्रित करने और आपातकालीन स्थितियों से निपटने में मदद मिलती है।
ड्रोन और सैटेलाइट का उपयोग
केवल कैमरे ही नहीं, बल्कि ड्रोन और सैटेलाइट का भी उपयोग भीड़ की गिनती के लिए किया जा रहा है।
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ड्रोन: ड्रोन का उपयोग एक निश्चित क्षेत्र में भीड़ के घनत्व को मापने के लिए किया जाता है। वे हवाई दृश्य प्रदान करते हैं जिससे अधिक सटीक आंकड़े मिलते हैं।
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सैटेलाइट: सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग बड़े क्षेत्रों में भीड़ का आकलन करने के लिए किया जाता है।
क्राउड असेसमेंट टीम
महाकुंभ 2025 के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है जिसे क्राउड असेसमेंट टीम कहा जाता है। यह टीम रियल-टाइम में भीड़ की गिनती करती है और इस डेटा का उपयोग मेला प्रशासन को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए करती है।
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क्यों जरूरी है भीड़ की सटीक गिनती?
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सुरक्षा: भीड़ की सटीक गिनती से सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
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संसाधनों का प्रबंधन: भीड़ के आंकड़ों के आधार पर संसाधनों जैसे पानी, भोजन और चिकित्सा सुविधाओं का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।
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आपदा प्रबंधन: किसी भी आपातकालीन स्थिति में, सटीक भीड़ के आंकड़े बचाव कार्यों में मदद करते हैं।
महाकुंभ में भीड़ की गिनती एक जटिल कार्य है, लेकिन आधुनिक तकनीक ने इसे काफी आसान बना दिया है। AI कैमरे, ड्रोन और सैटेलाइट का उपयोग करके, प्रशासन अब भीड़ का सटीक आकलन कर सकता है और श्रद्धालुओं को बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकता है। यह तकनीक न केवल महाकुंभ बल्कि अन्य बड़े आयोजनों के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो सकती है।