महाकुंभ में अभी बचे हैं 4 शाही स्नान, जानिए तारीख, महत्व और गंगा में डुबकी लगाने का प्लान

WD Feature Desk

शनिवार, 25 जनवरी 2025 (15:50 IST)
kumbh shahi snan dates 2025: महाकुंभ 2025 में प्रयागराज (इलाहाबाद) में स्नान, दान, कल्पवास, पूजा और तर्पण का खास महत्व माना गया है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन चल रहा है। इस कुंभ मेले में अब तक 10 करोड़ से ज्यादा लोगों ने गंगा में डुबकी लगा ली है। कुंभ मेला 13 जनवरी से प्रारंभ होकर 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। इस बीच कुल 6 शाही स्नान बताए जा रहे हैं। पहला शाही स्नान 13 जनवरी को दूसरा 14 जनवरी को हुआ था और अब तीसरा 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन हो। यनी कुल 4 शाही स्नान बचे हैं।ALSO READ: प्रयागराज कुंभ मेले में स्नान करने जा रहे हैं तो इन 5 जगहों के दर्शन अवश्य करें
 
पौष पूर्णिमा: 13 जनवरी 2025 (यह बीत चुका है)
मकर संक्रान्ति: 14 जनवरी 2025 (यह बीत चुका है)
 
बचे हुए शाही स्नान:
1. मौनी अमावस्या: 29 जनवरी 2025
2. बसंत पंचमी: 3 फरवरी 2025
3. माघी पूर्णिमा: 12 फरवरी 2025
4. महाशिवरात्रि: 26 फरवरी 2025
 
शाही स्नान का महत्व:- 
शाही स्नान कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। तिथि विशेष के समय विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत एक निश्चित क्रम में गंगा नदी में स्नान करते हैं। यह स्नान बहुत ही पवित्र माना जाता है और इसमें भाग लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। सांसारिकों को सुख, शांति, समृद्धि और पवित्रता की प्राप्ति होती है।
गंगा में डुबकी लगाने की योजना:-
1. समय: शाही स्नान के दिन, ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना सबसे शुभ माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो सूर्योदय से सूर्यास्त तक किसी भी समय स्नान किया जा सकता है।
 
2. विधि: गंगा में स्नान करते समय, कम से कम पांच बार डुबकी लगानी चाहिए। मन को पवित्र भावों से भर देना चाहिए और किसी भी प्रकार के बुरे विचार मन में नहीं लाने चाहिए। स्नान के दौरान शांत वातावरण बनाए रखना चाहिए।ALSO READ: Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में जा रहे हैं तो जानिए कि किस साधु के कैंप में जाने से क्या मिलेगा लाभ
 
3. नियम: गृहस्थों को साधु-संतों के स्नान के बाद ही स्नान करना चाहिए और उन्हें 5 ही डुबकी लगाना चाहिए।
 
4. स्नान के बाद क्या करें: स्नान के बाद जल में ही खड़े रहकर पितृ तर्पण करें और इसके बाद नदी से बाहर निकलकर शुद्ध वत्र पहनें और फिर पंचदेवों के दर्शन करें।
 
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