इस घटना से कुछ दिन पहले ही केरल के मलप्पुरम जिले में 6 वर्षीय 1 बच्ची की भी रैबीज से मौत हो गई थी जबकि उसे भी समय पर टीका लगाया गया था। निया की मां पत्रकारों से कहा कि हमारे घर के पास कूड़े का ढेर लगा रहता है। हमने कई बार लोगों से वहां कूड़ा न फेंकने की अपील की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। उसी कूड़े की वजह से आवारा कुत्ते वहां इकट्ठा होते थे और एक दिन उन्होंने मेरे सामने ही मेरी बेटी पर हमला कर दिया।
बाद में उसे पुनालूर तालुक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे अतिरिक्त दवाएं और टीके दिए गए। लेकिन कुछ दिन पहले बच्ची को काटे गए स्थान पर तेज दर्द और बुखार होने लगा जिसके बाद उसे फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया। एसएटी अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि अगर कुत्ता सीधे किसी नस पर काट ले तो वायरस सीधे मस्तिष्क तक पहुंच सकता है। ऐसे मामलों में यह कहना मुश्किल होता है कि टीका कितना प्रभावी रहेगा? राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा कि केरल के सरकारी अस्पतालों में टीके गुणवत्ता जांच के बाद ही लगाए जाते हैं।(भाषा)