न्यायाधीश मनोज तिवारी ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल के मुख्य चिकित्साधिकारी को आदेश दिया है कि 3 वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम गठित कर गर्भ परीक्षण की विस्तृत रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जाए। न्यायालय ने पीड़िता की पहचान उजागर नहीं करने के भी निर्देश दिए हैं। मामले में निर्णायक सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
इसके बाद गत 16 जून को वह नारी निकेतन से अपने घर लौटी तो मेडिकल परीक्षण में 20 सप्ताह से अधिक का गर्भ का पता चला। चिकित्सकों ने कानून का हवाला देते हुए गर्भपात कराने से इंकार कर दिया। चिकित्सकों ने बताया कि गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम 1971 की धारा 3 के अनुसार 20 हफ्ते से अधिक गर्भ का गर्भपात कराने की अनुमति नहीं है। (वार्ता)