कमलरानी वरुण : आजादी के बाद यहां पहली बार खिलाया था भाजपा का कमल...

अवनीश कुमार

रविवार, 2 अगस्त 2020 (16:30 IST)
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में घाटमपुर लोकसभा सीट/ विधानसभा पर भारतीय जनता पार्टी आजादी के बाद से कभी भी कमल को खिलाने में कामयाब नहीं रही और वहां पर लोकसभा में कांग्रेस तो विधानसभा में कांग्रेस,सपा व बसपा के दबदबे के आगे भाजपा राम मंदिर आंदोलन के दौरान भी घाटमपुर में कमल नहीं खिल पाता था।लेकिन जमीनी नेताओं में मशहूर कमलरानी वरुण ने भाजपा की जमीन तैयार की और यहां पर भी कांग्रेस के दबदबे को समाप्त करते हुए लोकसभा चुनाव में कमल खिला दिया था तो वहीं विधानसभा के चुनाव में भी सपा, बसपा व कांग्रेस के दबदबे को कमजोर करते हुए कमल खिला दिया था।

लोकसभा चुनाव में कमल खिलाकर बढ़ गया कद : आजादी के बाद से ही घाटमपुर लोकसभा पर कभी भी भाजपा कमल नहीं खिला पाई और कांग्रेस का दबदबा घाटमपुर लोकसभा सीट पर बना रहता था लेकिन जमीनी नेताओं में से एक कानपुर की बहू कमलरानी वरुण ने भाजपा की जमीन तैयार करना शुरू कर दिया और कड़ी मेहनत के दम पर वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने घाटमपुर संसदीय सीट पर कमलरानी पर भरोसा करके प्रत्याशी बनाया तो उन्होंने भी चुनाव जीतकर सीट पार्टी की झोली में डाल दी।

उन्होंने ऐसा काम कर दिखाया इसकी तो कामना पार्टी के किसी नेता ने की ही नहीं थी और फिर क्या था भाजपा को लोकसभा में जीत दिलाने के बाद कमलरानी पर शीर्षस्थ नेताओं का विश्वास और बढ़ गया।इसके बाद 1998 में दोबारा चुनाव हुए तो पार्टी ने फिर उन पर भरोसा दिखाया।कमलरानी वरुण ने दोबारा जीत हासिल करके पार्टी का भरोसा कायम रखा।

राम मंदिर लहर में घाटमपुर विधानसभा में मुरझा गया था कमल : अगर वही घाटमपुर विधानसभा चुनाव की बात करें तो आजादी के बाद से भाजपा कभी भी इस विधानसभा में चुनाव जीत ही नहीं पाई और सबसे चौंकाने वाला नतीजा तो तब आया जब राम मंदिर का मुद्दा पूरे देश में छाया था और जिसके बलबूते पर बीजेपी चुनाव भी लड़ रही थी उसके बावजूद भी बीजेपी को घाटमपुर में हार का सामना करना पड़ा था, यह वह दौर था जब कांग्रेस, सपा और बसपा का दबदबा घाटमपुर की सीट पर रहता था।

बीजेपी के सामने इतनी बड़ी मुश्किल थी कि विधानसभा चुनाव में किस पर विश्वास करें जो कमल खिला सके, हालात तो यह हो गए कि घाटमपुर में एक बार फिर से जमीन तैयार करनी थी जो बीजेपी के लिए किसी कड़ी चुनौती से कम नहीं था।इस मिथक को तोड़ने के लिए बीजेपी ने एक बार फिर भरोसा करते हुए घाटमपुर विधानसभा की जिम्मेदारी कमलरानी के कंधों पर डाल दी और उन्होंने एक बार फिर से बीजेपी के लिए जमीन तैयार करना शुरू किया।

चुनाव आते ही घाटमपुर विधानसभा के समीकरण भी बदलने लगे और 2017 के विधानसभा चुनाव में कमलरानी ने वह कर दिखाया जिसकी उम्मीद बीजेपी खो चुकी थी और आजादी के बाद पहली बार 2017 में घाटमपुर विधानसभा में कमल खिल गया।

कमलरानी ने जिस तरह से लोकसभा चुनाव में पहली जीत भाजपा को दिलाकर कमल खिलाया था उसी तरह एक बार फिर कांग्रेस, सपा और बसपा को परास्त करते हुए घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर भाजपा को पहली जीत दिलाई। जिसके चलते उन्हें प्रदेश सरकार में शिक्षामंत्री बनाया गया।

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