अदालत ने हालांकि व्यवस्था दी कि ये शिक्षक अगले चार महीने तक काम कर सकेंगे लेकिन उन्हें पारा शिक्षकों के लिए निर्धारित वेतन मिलेगा। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने निर्देश दिया कि ये प्राथमिक शिक्षक नियमित शिक्षक के तौर पर कार्य नहीं कर सकेंगे क्योंकि उनकी नियुक्ति के दौरान तय प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया गया।
नौकरी के आकांक्षी याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का रुख किया था और दावा किया था कि 42500 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में अनियमितता की गई है। अदालत ने पाया कि बड़ी संख्या में की गई भर्तियों में अनुचित प्रक्रिया अपनाई गई और वे अप्रशिक्षित भी थे जबकि वर्ष 2016 में प्राथमिक शिक्षक भर्ती वर्ष 2014 के शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) के आधार पर होनी थी।
उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि तीन महीने के भीतर 2014 टेट परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यार्थियों में से नए सिरे से शिक्षकों की भर्ती की जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर पेश अधिवक्ता तरुणज्योति तिवारी ने दावा किया कि प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित अभ्यर्थियों के लिए तय आरक्षण का नियुक्ति प्रक्रिया में अनुपालन नहीं किया गया।