जम्मू। अगले कुछ दिनों में 5 अगस्त को पूरा एक साल हो जाएगा जबकि जम्मू कश्मीर की जनता ऐसे धोखे का शिकार हो रही है, जिसमें उसे ऐसा चूना लगाया जा रहा है जिसकी सुनवाई कहीं नहीं है। दरअसल जम्मू कश्मीर में पिछले एक साल से मोबाइल इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों से मोबाइल कंपनियां पैसा तो 4जी की स्पीड का ले रही हैं, पर स्पीड 2जी की दी जा रही है।
प्रदेश प्रशासन के निर्देश पर सुरक्षा के नाम पर मोबाइल कंपनियों ने डाटा स्पीड 2जी रखी। प्रशासन ने इसके पीछे बहुतेरे कारण गिनाए, लॉजिक दिए। इस सच्चाई के बावजूद कि जिन आतंकियों और उनके समर्थकों के लिए इस स्पीड को घटाया गया था, वे अपना कार्य इसी स्पीड पर भी कर रहे है। इसे प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में भी माना है कि 2जी स्पीड सब कामों के लिए बेहतरी से कार्य कर रही है।
चर्चा इस स्पीड से कौन क्या कर रहा है की नहीं, बल्कि उस धोखेबाजी की है जिसके लिए अप्रत्यक्ष तौर पर मोबाइल कंपनियों को प्रशासन का भी समर्थन प्राप्त है। एक साल से मोबाइल कंपनियां जम्मू कश्मीर के लिए कोई अलग पैकेज नहीं बना सकीं। प्री पेड और पोस्टपेड कनेक्शनों का रिचार्ज या बिल 4जी की स्पीड की दर से लिया जा रहा है। पर स्पीड 2जी की है। इसके प्रति उपभोक्ता जब भी कंपनियों के अधिकारियों से बात करने की कोशिश करते हैं, वे सरकारी आदेश का हवाला देते हैं।
ऐसे में एक उपभोक्ता रोहित बनोत्रा कहते थे कि यह सीधे तौर पर उपभोक्ताओं की जेब पर डाका है, जिसमें सरकार भी शामिल है। हालांकि एक साल पूरा होने जा रहा है और केंद्र सरकार ने 4जी के नाम पर हो रहे धोखे से जम्मू कश्मीर की जनता को मुक्ति दिलाने के प्रति कोई ठोस कदम उठाने से इंकार कर दिया है।
यह उसके सुप्रीम कोर्ट में दर्ज करवाए गए बयान से साबित होता है, जिसमें उसने कहा है कि फिलहाल 2 महीनों तक 4जी की समीक्षा नहीं की जा सकती। अर्थात जम्मू कश्मीर की जनता को 4जी के खर्चे पर 2जी स्पीड पर मिलने वाले धोखे को सहन करना ही होगा।