Uttarkashi News: पुरोला में उपज रहे सांप्रदायिक तनाव (communal tension) को लेकर 52 पूर्व नौकरशाहों ने मुख्य सचिव (Chief Secretary) और डीजीपी (DGP) को एक खुला पत्र लिखा है जिसमें राज्य में सांप्रदायिक स्थिति पर तत्काल कार्रवाई के लिए अनुरोध किया गया है। अखिल भारतीय और केंद्रीय सेवाओं के पूर्व नागरिक सेवक रहे इस 52 पूर्व नौकरशाहों के समूह ने चिंता जाहिर की है।
उत्तराखंड में विकसित हो रही स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए लिखा गया गया है कि 15 जून 2023 को पुरोला शहर में आयोजित की जाने वाली महापंचायत और 20 जून 2023 को टिहरी में आयोजित होने वाली रैली और 'चक्काजाम' कार्यक्रम दोनों खुलेआम प्रदेश से मुसलमानों को निकालने के आह्वान के साथ जुड़े हुए हैं।
पूर्व नौकरशाहों ने अनुरोध किया कि इन तार्किक, सांप्रदायिक या धमकीभरे कार्यक्रमों को इन तारीखों या अन्यथा किसी भी तारीख पर नहीं होने दिया जाए।
उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस और प्रशासन संविधान, कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार काम करते हैं और नफरती भाषण और गुंडागर्दी के खिलाफ कार्रवाई करते हैं। इसलिए ऐसे नफरत फैलाने वाले आयोजनों पर रोक लगनी जरूरी है।
नौकरशाहों ने लिखा है कि हमने देखा है कि इन कार्यक्रमों के साथ-साथ क्षेत्र में एक सांप्रदायिक अभियान का उदय हुआ है जिसमें 12 शहरों में बाजार बंद करने के आह्वान और मुसलमानों के खिलाफ रैलियां और नफरती भाषण शामिल हैं, जो पहले से ही पुरोला शहर से 28 मई को 42 मुसलमान परिवारों की रिपोर्ट में दर्ज हैं।
पुरोला, बड़कोट और संभवत: अन्य स्थानों में मुसलमान दुकानदार अपनी दुकानों को छोड़ चुके हैं। मीडिया में उपलब्ध रिपोर्टों के आधार पर हम इस निष्कर्ष को अनदेखा नहीं कर सकते कि यह चल रहा अभियान एक आपराधिक उद्यम है जिसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से हमारे नागरिकों को धमकाना है।
हालांकि जिला प्रशासन ने पुरोला में 15 जून को होने वाली महापंचायत करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। उत्तरकाशी के एसपी अर्पण यदुवंशी ने कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी तो धारा 144 लागू की जाएगी जिसकी लगभग पूरी तैयारी कर दी गई है।