सीआरपीएफ की हेल्पलाइन ने तुरंत कार्रवाई शुरू करने हुए अपने डेटाबेस को खंगालना शुरू किया कि क्या उसकी जम्मू स्थित इकाइयों में किसी जवान का यह दुर्लभ रक्त समूह है। इसकी तलाश उन्हें 39 वर्षीय हेड कांस्टेबल और रेडियो ऑपरेटर अशोक कुमार तक ले गई जिनका यह दुर्लभ रक्त समूह था। कुमार सुंदरबनी, जम्मू में अर्द्धसैन्य बल की 72वीं बटालियन के इकलौते जवान हैं।
खान ने सुरक्षा बल का शुक्रिया अदा करते हुए पत्र लिखा कि मैं हमेशा सीआरपीएफ की 72वीं बटालियन का शुक्रगुजार रहूंगा तथा खासतौर से भाई अशोक कुमार का, जो एक फरिश्ते के तौर पर आए और इस मुश्किल वक्त में अपना कीमती रक्तदान देकर एक जान बचाई तथा यह साबित किया कि इंसानियत कभी नहीं मरती।