पैलेट गन से जख्मी की मौत के बाद श्रीनगर में फिर अघोषित कर्फ्यू

सुरेश डुग्गर
बुधवार, 4 सितम्बर 2019 (20:39 IST)
जम्मू। श्रीनगर में भारत विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पिछले महीने पैलेट गन से घायल हुए एक कश्मीरी युवक ने बुधवार सुबह दम तोड़ दिया। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद सुरक्षाबलों के साथ संघर्ष में किसी आम नागरिक की ये पहली मौत है। इसके बाद अधिकारियों ने पुराने श्रीनगर में फिर से प्रतिबंध लगा दिए। जबकि दिल्ली से श्रीनगर वापस लौटते ही श्रीनगर के मेयर को हिरासत में लेकर उनके घर पर नजरबंद कर दिया गया है।
 
असरार अहमद खान नाम का यह शख्स सौरा में छह अगस्त को हुए प्रदर्शन में पैलेट गन से घायल हो गया था। इससे उसकी आंखों पर चोटें आईं थी। अधिकारियों ने बताया कि खान को सौरा के शेर-ए-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती कराया गया था। उसकी बुधवार तड़के मौत हो गई। पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि उसे कोई गोली नहीं लगी थी।
 
हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने कहा है कि लड़के की मौत पत्थरबाजी से हुई न कि पैलेट गन से। उन्होंने कहा कि ये मौतें इसलिए हुईं, क्योंकि घाटी में आतंकी पत्थर फेंक रहे हैं और ये सभी पाकिस्तान के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं।
 
इस बीच दिल्ली से चिकित्सा जांच करवाने के बाद श्रीनगर पहुंचे मेयर जुनैद अजीम मट्टू को पुलिस ने उनके ही घर में नजरबंद कर दिया है। दरअसल दिल्ली में मट्टू ने मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया था।
 
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश घोषित होते ही राजनीतिक दलों के नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। टेलीफोन, मोबाइल इंटरनेट, फोन बंद होने के बाद बाहरी राज्यों में पढ़ रहे बच्चों, परिजनों की कश्मीर में अपनों से बात नहीं हो पा रही है।
 
मट्टू मंगलवार को जैसे ही दिल्ली से अपने घर पहुंचे पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया। मट्टू जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रवक्ता भी हैं। चिकित्सा जांच कराने के लिए जब वह दिल्ली में थे तो उस दौरान एक मीडिया संगठन को दिए साक्षात्कार में उन्होंने केंद्र के फैसले को जमकर कोसा। कश्मीर में चल रही अव्यवस्था और राजनीतिक नेताओं की नजरबंदी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती दी है।
 
उन्होंने केंद्र के इस बयान को भी नकारा कि कश्मीर में सब सामान्य हो गया है। संचार व्यवस्था ठप होने के कारण ऐसा लग रहा है जबकि जमीनी स्थिति कुछ ओर ही है। मट्टू ने यह भी बताया कि पार्टी ने वरिष्ठ-संवैधानिक विशेषज्ञों और प्रकाशकों से परामर्श किया है।
 
सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ केस लड़ने की तैयारी की जा रही है। पार्टी के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने भी गिरफ्तारी से पहले लोगों से शांत रहने और किसी भी हिंसा का सहारा नहीं लेने की अपील की है।

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