उन्होंने बताया कि नोटबंदी के फैसले के बाद से भारतीय स्टैट बैंक की शाखाओं में जन-धन खतों में जमा करवाए गए 300 करोड़ रुपए शक के दायरे हैं। 80 प्रतिशत मामलों को शंकास्पद मानते हुए पूरे मामले की रिपोर्ट एसएलबीसी और डीएफएस को भेजी है। उन्होंने बताया कि बस्तर संभाग की 40 शाखाओं में नोटबंदी के फैसले के बाद से जन-धन के खातों के अपेक्षाकृत काफी कैश जमा हुए हैं। इसमें ऐसे खातेदार भी शामिल हैं। जिनके खातों में पिछले लंबे समय से कोई रकम न तो जमा हुई और न ही निकाली गई।
विमुद्रीकरण के फैसले के बाद जैसे ही बैंक खुले, पैसे जमा करवाने ऐसे लोगों की लाइन लग गई। आवापल्ली, दोरनापाल, बीजापुर, सुकमा और भोपालपट्टनम ब्रांच में जमाकर्ताओं ने एक निश्चित राशि अपने खाते में जमा करवाई।
राव ने आगे बताया कि पैसे जमा करवाने पहुंचने वाले ग्रामीणों के हुलिए को देखकर भी शंका होना स्वाभाविक थी। फटी पैंट, नंगे पैर और अस्त-व्यस्त कपड़ों के साथ ग्रामीण बदहवासी के हालत में बैंक पहुंच रहे थे। बैंक कर्मचारियों ने इनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन भाषा के दिक्कत के चलते इनसे बात नहीं हो सकी।