न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने हाल के अपने आदेश में कहा, जब वह (पीड़ित) अपनी गाड़ी की ओर लौट रहा था, जो कि संभवत: सड़क पर एक तरफ खड़ी होगी, तब उसे तेजी से आ रहे एक अन्य वाहन ने टक्कर मार दी और वह घायल हो गया, हमें तो यह मानना ही होगा कि नेकनीयत वाला इंसान होने के नाते उसने अपना ट्रक रोका और संकट में फंसे किसी व्यक्ति की मदद की।
अदालत ने कहा, जिस व्यक्ति ने किसी अन्य इंसान की मदद करना चुना, उसे दयालुता दिखाने के लिए परेशान नहीं किया जाना चाहिए और यदि उस दौरान नेकनीयत वाला यह व्यक्ति घायल हो गया या जानलेवा परिणाम का शिकार हो गया तो कानून को उसके लिए आगे आना चाहिए।
विधवा दावा आयुक्त द्वारा क्षतिपूर्ति मंजूर करने से इनकार करने पर उच्च न्यायालय पहुंची थी। दावा आयुक्त ने इस आधार पर क्षतिपूर्ति मंजूर करने से इनकार कर दिया था कि मृतक (चालक) ने खुद ही दुर्घटना का शिकार होकर संकट बढ़ा दिया जबकि यह उसके रोजगार का हिस्सा नहीं था, इस तरह क्षतिपूर्ति की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है।