देवरिया उपचुनाव में जीत किसी भी पार्टी की हो लेकिन सेहरा बंधेगा त्रिपाठी के ही सिर पर..

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के देवरिया में 3 नवंबर को होने वाले विधानसभा के मतदान को लेकर जहां सभी पार्टियों ने कमर कस ली है तो वही एक यह भी बात तय हो गई है कि देवरिया से जीत किसी भी पार्टी की हो लेकिन परचम त्रिपाठी का ही लहराएगा...यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के घोषित प्रत्याशियों के उपनाम कह रहे हैं और ऐसा मौका पहली बार है जब एक ही जाति के चार प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं और सभी के उपनाम के पीछे त्रिपाठी लगा है।
 
जानिए कौनसा त्रिपाठी किसके पाले में : देवरिया में होने वाले उपचुनाव को लेकर कौनसे त्रिपाठी किस पार्टी के पाले में हैं, आइए आपको बताते हैं। सबसे पहले बात करते हैं भारतीय जनता पार्टी की, जिन्होंने डॉ. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है। तो वही समाजवादी पार्टी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रह्मशंकर त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है।

कांग्रेस ने मुकुंद भाष्कर मणि त्रिपाठी को टिकट दिया है, जिनकी उम्मीदवारी को लेकर पिछले दिनों कांग्रेस में खूब हंगामा हुआ और एक महिला नेता के साथ बदसलूकी का वीडियो सामने आया इन सभी के बीच बहुजन समाज पार्टी भी पीछे नहीं है और उसने भी अभयनाथ त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है।
 
क्या है जातिगत गणित : देवरिया सीट के मतदाताओं पर नजर डालें तो लगभग 4 लाख मतदाता इस विधानसभा में आते हैं और सर्वाधिक बाहुल्य मतदाता ब्राह्मण ही हैं। अगर जातिगत आंकड़ों पर नजर डालें तो देवरिया सीट पर 55 हजार ब्राह्मण, 50 हजार वैश्य, 30 हजार यादव, 25 हजार मुसलमान, 22 हजार निषाद, 20 हजार ठाकुर, 16 हजार कुशवाहा, 10 हजार के आसपास राजभर, 8 हजार चौरसिया और 13 सैंथवार जाति के मतदाता हैं लेकिन हार जीत का फैसला ब्राह्मण और वैश्य कि मतदाता ही करते हैं। जिस तरफ यह मतदाता झुक जाते हैं, जीत उसी की पक्की मानी जाती है।
 
29 साल बाद देवरिया से ब्राह्मण बनेगा विधायक : देवरिया सीट पर हो रहे उपचुनाव ने 29 साल बाद कोई ब्राह्मण उम्मीदवार विधायक बनेगा। 1989 में ब्राह्मण उम्मीदवार राम छबीला मिश्रा जनता दल से चुनाव जीते थे, जिसके बाद से अभी तक कोई भी ब्राह्मण इस सीट से चुनाव नहीं जीत सका है। 
 
29 साल बाद चार ब्राह्मण उम्मीदवार आमने-सामने देवरिया के उपचुनाव में 29 साल बाद चारो प्रमुख पार्टियां ने एक साथ चार ब्राह्मण उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है। देवरिया के राजनीति में यह पहला मौका है, जब चार ब्राह्मण उम्मीदवार आमने-सामने चुनाव के मैदान में उतरे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 29 साल का रिकॉर्ड कौन ब्राम्हण उम्मीदवार अपने नाम करता है?

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