रीवा। 'बेटियां हमारे समाज की संस्कृति का परिचायक होती हैं। बेटियों के सम्मान और उनकी सुरक्षा से ही समाज की प्रगति संभव है। बेटियां हमारे घर की रौनक होती हैं और उनके बिना सृष्टि अधूरी है। बेटियां मन की शक्ति तथा साधना की अभिव्यक्ति हैं। उनके अधिकारों की रक्षा करें। ऐसा वातावरण निर्मित करें ताकि उनका किसी भी प्रकार का शोषण न होने पाए।' यह बात रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने 'राष्ट्रीय बालिका दिवस' पर कही।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राजविलास उत्सव गार्डन में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. भार्गव ने कहा कि बेटियों के प्रति मन में सकारात्मक सोच रखें। उन्हें खेलने-कूदने की आजादी दें। शासन द्वारा बेटियों के लिए कई अभियान संचालित किए जा रहे हैं। इन्हीं में से एक है बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान। यह बेटियों के प्रति सभी भेदभाव खत्म करने का अभियान है। बेटियों को आगे बढ़ने एवं नई ऊंचाईयों को छूने के लिए प्रेरित करें।
उन्होंने कहा कि जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। शक्ति, विद्या और लक्ष्मी जिसके पास है उसके पास सब कुछ है। उन्होंने कहा कि एक अच्छी माँ सौ शिक्षकों से भी ज्यादा प्रभावशाली होती है। उन्होंने बेटियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में नहीं करने की समझाइश दी तथा भ्रूण हत्या रोकने के लिए जन आंदोलन चलाने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. भार्गव ने कार्यक्रम में उपस्थित बेटियों एवं महिलाओं को राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर बेटियों द्वारा बनाई गई रंगोली तथा चित्रकला को देखा तथा सराहना की। उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले होनहार बच्चों एवं श्रेष्ठ अभिभावकों का सम्मान किया।
महिला एवं बाल विकास की संयुक्त संचालक ऊषा सिंह सोलंकी ने कहा कि 24 जनवरी 1966 को स्व. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं थीं। इस दिन को यादगार बनाने के लिए प्रतिवर्ष राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि बच्चों की तरक्की और उन्हें संबल प्रदान करने के लिए सुंदर वातावरण निर्मित करें। उन्हें आगे बढ़ने के लिए अवसर प्रदान करें।
कार्यक्रम में संयुक्त आयुक्त पीसी शर्मा, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास प्रतिभा पाण्डेय, उप संचालक कमिश्नर कार्यालय सतीश निगम सहित अन्य अधिकारी, अभिभावकगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास आशीष द्विवेदी ने किया।