प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहीम के सहायकों से कथित तौर पर जुड़े एक संपत्ति सौदे को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत इस साल 23 फरवरी को मलिक को गिरफ्तार किया था। वे अभी न्यायिक हिरासत में हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और अंतरिम राहत के तौर पर हिरासत से तत्काल रिहा किए जाने का अनुरोध किया था।
बहरहाल, न्यायमूर्ति पीबी वराले और न्यायमूर्ति एसएम मोदक की पीठ ने मंगलवार को मलिक को ऐसी कोई राहत देने से इंकार कर दिया। पीठ ने कहा कि मंत्री की याचिका से कुछ विचारणीय मुद्दे उठे हैं और अदालत को कोई अंतिम आदेश देने से पहले दोनों पक्षों की दलीलों पर विस्तार से सुनवाई करने की आवश्यकता है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि चूंकि कुछ विचारणीय मुद्दे उठाए गए हैं तो उन पर विस्तार से सुनवाई करने की आवश्यकता है। हम अंतरिम याचिका में किए गए अनुरोध को मंजूर नहीं करते। अपनी गिरफ्तारी के बाद मलिक ने वरिष्ठ वकील अमित देसाई के जरिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दावा किया था कि ईडी द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया जाना और उसके बाद हिरासत में भेजा जाना गैरकानूनी है।