ग्राम सनावदिया स्थित बिड़ला नेचुरल फार्म पर दो दिवसीय "नैसर्गिक खेती प्रशिक्षण शिविर" का समापन हुआ। कार्यक्रम में अध्यक्ष एवं प्रमुख प्रशिक्षक के तौर पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा कृषि भूषण अवॉर्ड प्राप्त कृषक सुभाष शर्मा मौजूद थे, जिन्होंने खेती में किए गए शोध कार्य एवं अपने अनुभव सुनाने के साथ ही प्रेक्टिकल भी कर के दिखाए।
पेड़ों की उपयोगिता और महत्व के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि पक्षियों के लिए आम, जामुन और वट के पेड़ ज्यादा होने चाहिए। ये पेड़ गर्मी के मौसम में भी हरे-भरे रहते हैं और कार्बन डाइआक्साइड खींचकर ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि कीट-नियंत्रण के साथ उन पर बैठने वाले पक्षियों के मल से खेतों की उत्पादकता भी बढ़ती है अत: खेती से निकलने वाले सभी अवशेषों को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। उनके अनुसार फसलों से निकलने वाली घास के पुन: उपयोग के जरिए खेतों को बायोमास मिलता है जिसकी वजह से खेती को बड़ा लाभ होता है।
इसमें केंचुए की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि एक स्क्वायर फीट में यदि छ: केंचुए हैं तो इसका मतलब हुआ एक एकड़ मे ढाई लाख केंचुए। एक केंचुआ कम से कम अपने जीवन चक्र में 10 से 40 छिद्र करता है, जो पानी के लिए मार्ग बनते हैं। जाहिर है इससे खेतों को भरपूर पानी मिलना शुरू हुआ और आक्सीजन भी मिली। इससे जमीन के अंदर के जीवों की सजीव व्यवस्था कायम हुई। उन्होंने बताया कि केंचुए की वजह से चींटियों का आना शुरू हुआ, फिर दीमक हुए और कई अन्य प्रकार के जीवों का विस्तार हुआ।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के दूरस्थ लगभग १०० से अधिक किसानों के प्रशिक्षण के लिए नाहर ने एक - "स्नेक एजुकेशन शो" दिया। कार्यक्रम का संचालन सुरभि पञ्चगव्य, परीक्षित जोशी द्वारा किया गया, गोविंद माहेश्वरी ने जानकारी दी और मनीष बिरला ने आभार व्यक्त किया।