कानपुर। नोटबंदी के बाद से औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान रखने वाला कानपुर सिक्कों की समस्याओं को लेकर उभरता नहीं दिख रहा है। अब सिक्कों का असर आम जनमानस की जिंदगी में पड़ने लगा है और वे लड़ते-झगड़ते देखे जा सकते हैं।
नोटबंदी के बाद बैंकों ने ग्राहकों को थोक में सिक्के दिए। इससे बाजार में सिक्कों की भरमार हो गई। इसी के चलते अक्सर ग्राहकों और दुकानदारों में झगड़ा भी हो जाता है। रही-सही कसर अब आरबीआई ने बैंकों को 1 करोड़ के सिक्के देकर पूरी कर दी।
सिक्के को लेकर हत्या : पुलिस के रिकॉर्ड की मानें तो एक बार नेशनल हाईवे में एक ढाबे पर सिक्के को लेकर एक ट्रक चालक को बुरी तरह से पीट दिया गया जिससे उसकी मौत हो गई थी।
आरबीआई ने बढ़ाई परेशानी : भारतीय रिजर्व बैंक का क्षेत्रीय कार्यालय कानपुर में है और नोटबंदी के दौरान आरबीआई ने कानपुर के सभी बैंकों पर करीब 1 करोड़ के सिक्के पहुंचा दिए। अब ये सिक्के बाजार में पहुंच गए और बाजार के लिए जी का जंजाल बन गए। इनमें 1, 2, 5 और 10 रुपए के सिक्के शामिल हैं। ग्राहक सिक्के लेने को तैयार नहीं हैं और दुकानदार भी इसलिए नहीं ले रहा है कि उसको सिक्कों से माल नहीं मिल पा रहा है।
कहां रखें सिक्के? : आरबीआई ने गाइडलाइन जारी करते हुए सभी बैंकों को सख्त निर्देश दिए कि एक ग्राहक से 1,000 के ही सिक्के लिए जाएंगे, पर आरबीआई के निर्देशों का बैंकों पर इसलिए असर नहीं हुआ कि बैंक यह रोना रो रहे हैं कि हमारे पास इनको गिनने के लिए कर्मचारी नहीं हैं। अब बैंकों के सामने समस्या है कि वे इन सिक्कों को कहां रखें। भुगतान के नाम पर ग्राहक सिक्के लेने को तैयार नहीं हैं, वहीं भुगतान और जमा की व्यवस्था सही नहीं होने के कारण बैंक आमजन से भी सिक्के नहीं ले रहे हैं।
आरबीआई के जनसंपर्क अधिकारी दीपेश तिवारी ने बताया कि अगर कोई दुकानदार या बैंक सिक्के लेने से मना करते हैं और सबूत के साथ शिकायत मिलती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।