देवबंद उलेमा का कहना है कि जो लोग दूसरे धर्म के होते हुए तीसरे धर्म के रिवाज-तौर तरीके अपनाते है, वो ढोंगी होते है, दिखावा करते है। मुस्लिम महिला का करवा चौथ का व्रत रखना दिखावा मात्र है और कुछ नही।
देवबंद के मुफ़्ती व इत्तेहाद उलेमा ए हिन्द के मुफ़्ती असद कासमी ने कहा कि जो व्यक्ति इस्लाम को जानता और समझता है, वो इस्लाम विरोधी कार्य नही कर सकता। मुसलमान जानते हैं कि इस्लाम क्या है उसके क्या नियम है ये सबको पता है, लेकिन इस्लाम में सिर्फ रोजा रखने की इजाजत है। इसके अलावा यदि कोई मुस्लिम दूसरे धर्म के त्योहार मना रहा है, तो वो उसकी अपनी आजादी है।
देवबंद फतवा आन मोबाइल सर्विस के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारूकी का मानना है कि किसी दूसरे धर्म की खास चीजें अपनाने या उनके क्रिया कलापों को करने की इस्लाम इजाजत नहीं देता है। ऐसी इबादत जो दूसरे मजहब से जुड़ाव रखती हो, वह इस्लाम के विरोधी है, यदि कोई ऐसा करता है तो उसे अपने गुनाह गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए।
वही उलेमा देवबंद मौलाना कारी इसहाक गोरा व अध्यक्ष, जमीयत दावतुल मुस्लिमीन ने कहा कि इस्लाम को जानने वाला दूसरे मजहब के क्रियाकलापों को नही अपनता है। यदि कोई अपने मजहब के अतिरिक्त दूसरे मजहब के त्योहार, व्रत करता है, तो वह मात्र ढोंग और दिखावा करता है। जो लोग करवा चौथ को अपना रहे हैं, उनका मजहबी इस्लाम से ताल्लुक नहीं हो सकता है।