अदालत ने कहा, संभव है कि आप बंदरों की बढ़ती संख्या की समस्या से निपटने में कभी भी सफल ना हों, क्योंकि यह समस्या अब अकल्पनीय स्तर पर पहुंच गई है। अदालत ने गत 26 सितंबर को शहर में बंदरों एवं कुत्तों की बढ़ती आबादी एवं मोरों की सुरक्षा जैसे मुद्दों से निपटने के लिए कार्य योजना की जानकारी देने को कहा था।
अदालत तीन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें बंदरों, कुत्तों, आवारा पशुओं की समस्या से निपटने तथा उन्हें आश्रय मुहैया कराने तथा मोरों की सुरक्षा के लिए उपाय करने की खातिर अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है। (भाषा)