कानपुर। किसी ने सच कहा है कि समय से पहले कुछ भी नहीं होता है चाहे वह नौकरी हो, या शादी। यह कब, कैसे और कहां मिल जाए इसका भी भरोसा नहीं। ऐसा ही कुछ हुआ एक निवर्तमान पार्षद के साथ जिसे पर्चा दाखिल करने के एक दिन पहले ही शादी करना पड़ी। आइए आपको बताते हैं ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि पार्षदजी को पहले शादी करनी पड़ी और फिर अगले दिन जाकर नामांकन दाखिल करने पहुंचे।