उन्होंने कहा कि उन्हें पूर्व सीएम भुवन खंडूड़ी के शिष्य होने के कारण भरोसा जगा है कि शायद वे आत्मबोधानंद कि बातें मानें क्योंकि अपने समय पर बीसी खंडूड़ी ने खनन के कार्यों को बंद किया था। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र पर भी वार करते हुए कहा कि उन्होंने संतों का अपमान किया, इसी कारण सत्ताच्युत हो गए।
गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए 18 दिन से अनशन कर रहे आत्मबोधानंद ने 5 दिनों से जल भी त्याग दिया है। लेकिन, शासन प्रशासन ने उनके अनशन की सुध लेना अब तक उचित नहीं समझा। गंगा की अविरलता और इसके संरक्षण के लिए मातृ सदन के कई लोग आत्मबलिदान कर चुके हैं।