यूपी उपचुनाव : गोविंदनगर में आसान नहीं है भाजपा की राह, गढ़ बचाना बनी कड़ी चुनौती

अवनीश कुमार
मंगलवार, 24 सितम्बर 2019 (08:59 IST)
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 11 सीटों पर उपचुनाव होने हैं जिसको लेकर सभी पार्टियां अपना-अपना चक्रव्यूह रचने में जुटी हैं तो वही इन विधानसभाओं में कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पर पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इन्हीं में से एक उत्तर प्रदेश के कानपुर की गोविंद नगर विधानसभा बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई है।

इस सीट से बीजेपी के सत्यदेव पचौरी भारी बहुमत से जीतकर विधायक बने और फिर उत्तर प्रदेश में सत्ता आने पर उन्हें मंत्री पद से नवाजा गया लेकिन लोकसभा चुनाव में कानपुर नगर से सांसद बनने के बाद उन्हें गोविंद नगर विधानसभा से इस्तीफा देना पड़ा और यह सीट खाली हो गई जिसके चलते गोविंद नगर विधानसभा में उपचुनाव होना है।

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गोविंद नगर विधानसभा की लड़ाई बेहद दिलचस्प होती दिखाई पड़ रही है क्योंकि जहां एक तरफ बीजेपी को गोविंद नगर सीट बचाए रखने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी तो वही गोविंद नगर सीट पर वापसी करने के लिए कांग्रेस भी बेहद मजबूती के साथ मैदान में करिश्मा ठाकुर को उतार चुकी है।

बहुजन समाज पार्टी ने इस विधानसभा में जीत का परचम फहराने के लिए ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए देवी प्रसाद तिवारी को मैदान में उतार दिया है। इस सीट को बचाए रखने के लिए बीजेपी अभी तक प्रत्याशी भी नहीं दे पाई है वही समाजवादी पार्टी भी बेहद चिंतन में लगी है किस सीट पर जीत का परचम लहराने के लिए किसको मैदान में उतारा जाए। लेकिन कुछ भी हो सभी पार्टियों के बीच लड़ाई दिलचस्प होने वाली है।

जहां एक तरफ बीजेपी के सामने अपने ही गढ़ को बचाए रखने को लेकर रणनीति तैयार करनी है तो वही अपने पुराने गढ़ रहे गोविंद नगर को वापस पाने के लिए कांग्रेस भी बेहद जोरी के साथ ठाकुर कार्ड खेलते हुए मैदान में उतर चुकी है हां यह अलग बात है कि सपा व बसपा के लिए यहां पर खोलने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन सही रणनीति अगर बैठ गई तो शायद एक समय पर कांग्रेस व इस समय बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाली गोविंद नगर विधानसभा में जीत का परचम लहरा सके जिसको लेकर दोनों ही पार्टियां तैयारी में जुटी हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े- गोविंद नगर विधानसभा के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिससे यह स्पष्ट होता है किस विधानसभा में लगभग तीन लाख पचास हजार वोटर है और इनमें सर्वाधिक वोट ब्राह्मणों का है सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि लगभग पौने दो लाख के आस-पास ब्राह्मण वोट है इन आंकड़ों को देखते हुए पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति तैयार कर रही हैं।

6 बार बीजेपी तो 8 बार जीती है कांग्रेस- आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो इस गोविंद नगर विधानसभा से 1951 से लेकर आज तक हुए चुनावों में 6 बार बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है तो वहीं कांग्रेस ने भी इस विधानसभा में 8 बार जीत का परचम लहराया है। अब ऐसे में जहां इन दोनों पार्टियों के बीच गोविंद नगर विधानसभा मेंं कब्जा करने की होड़ लगी है तो वही समाजवादी पार्टी वाह बहुजन समाज पार्टी भी गोविंद नगर विधानसभा पर जीत का परचम फहरा गोविंद नगर विधानसभा में दस्तक देने की तैयारी में जुटी है।

बसपा ने बीजेपी के लिए खड़ी की मुश्किलें- बहुजन समाज पार्टी ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए जीत का सपना संजो रही है तो वही ठाकुर व ब्राह्मण बिरादरी में अच्छी पैठ रखने वाली करिश्मा ठाकुर को प्रत्याशी बना कांग्रेस अपने गढ़ को बीजेपी से छीन कर एक बार फिर कांग्रेस में लाना चाहती है क्यों कि बीजेपी ने एक समय तक रहे कांग्रेस के गढ़ को छीनने के लिए ब्राह्मण कार्ड का इस्तेमाल करते हुए सत्यदेव पचौरी को मैदान में उतारा था और इसमें वह कामयाबी रहे थे जिसके चलते बीजेपी अब पशोपेश में पड़ी है कि प्रत्याशी बनाए तो कैसे बनाएं क्योंकि ब्राह्मण कार्ड खेलकर बहुजन समाज पार्टी ने बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं ऐसे में प्रत्याशियों को लेकर बीजेपी के अंदर गहरा मंथन चल रहा है। तो वहीं समाजवादी पार्टी की शांति भी कहीं ना कहीं बीजेपी के लिए खतरा पैदा कर रही है।

क्या बोले जानकार- वरिष्ठ पत्रकार अतुल मिश्रा ने बताया कि लंबे समय तक गोविंद नगर विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। कांग्रेस के प्रत्याशी अजय कपूर ने बुरे से बुरे हालात में भी कांग्रेस का परचम इस सीट से लहराने में कामयाब रहे थे लेकिन परिसीमन के फेरबदल ने कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया। इसके चलते कांग्रेस को अपने ही गढ़ में हार का सामना करना पड़ा था।

ब्राह्मण चेहरे के रूप में बीजेपी से प्रत्याशी बने सत्यदेव पचौरी को परिसीमन के चेंज होने से बेहद फायदा मिला और कांग्रेस के प्रत्याशी को बेहद लंबे अंतर से चुनाव हराया और कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाली गोविंद नगर विधानसभा पर कब्जा कर लिया। लेकिन इस बार के उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मण कार्ड पहले चलकर कहीं ना कहीं बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं और अगर कही समाजवादी पार्टी ने भी ब्राह्मण कार्ड खेला तो बीजेपी के लिए गोविंद नगर विधानसभा का उपचुनाव कांटों भरा हो जाएगा।

कांग्रेस ने ब्राह्मण और ठाकुरो में अच्छी पैठ रखने वाली करिश्मा ठाकुर को मैदान में उतारकर गोविंद नगर विधानसभा की चुनावी लड़ाई दिलचस्प बना दी है। जीत हार किसकी होती है यह तो आने वाला वक्त तय करेगा लेकिन गोविंद नगर विधानसभा से जीत किसकी पक्की है यह कोई भी पार्टी दावे के साथ नहीं कह सकती।
 
सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि गोविंद नगर विधानसभा की चुनावी लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है और जहां बीजेपी के सामने गढ़ बचाए रखने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस के पास भी अपने गढ़ को वापस लाने का मौका है।

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