अहमदाबाद। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने रविवार को कहा कि गिर अभयारण्य के शेर सुरक्षित हैं और उन्हें यहां से स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। इससे पहले गुजरात के वन विभाग ने गिर अभयारण्य में शेरों को घातक विषाणु से बचाने के लिए टीकाकरण शुरू किया। इसी विषाणु की वजह से हाल में कई शेरों की जान चली गई।
वन अधिकारियों ने बताया था कि इस अभयारण्य में 1 महीने से भी कम समय में 23 शेरों की मौत हो गई। उनमें से ज्यादातर शेर कैनाइन डिस्टेंपर विषाणु (सीडीवी) और प्रोटोजोआ संक्रमण से मरे। रूपाणी ने जूनागढ़ जिले के बिल्खा में बताया कि गिर में स्थिति नियंत्रण में है और शेर जंगल में पूरी तरह सुरक्षित हैं। राज्य सरकार संवेदनशील है और शेरों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। शेरों को यहां से स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। जूनागढ़ में गिर जंगल स्थित है।
सीडीवी घातक विषाणु समझा जाता है और पूर्वी अफ्रीका के जंगलों में अफ्रीकी शेरों की आबादी में 30 फीसदी गिरावट के लिए उसे ही जिम्मेदार माना जाता है। जूनागढ़ जिला वन विभाग के सरकारी ट्विटर हैंडल पर जूनागढ़ वन्यजीव के मुख्य वन संरक्षक ने ट्वीट किया कि मानक प्रोटोकॉल के अनुसार सघन पशु चिकित्सा के तहत अलग किए गए शेरों का टीकाकरण आरंभ हुआ है। शीर्ष राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शेर विशेषज्ञों की राय ली गई है। सरकार शेरों की सुरक्षा के लिए फूंक-फूंककर कदम उठा रही है। गिर अभयारण्य जूनागढ़ वन विभाग के क्षेत्राधिकार में ही आता है।
गांधीनगर में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि जो शेर वन विभाग के संरक्षण में हैं, फिलहाल केवल उन्हें ही टीका लगाया जा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल 2013 में गुजरात से पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के कुनो पालपुर वन्य अभयारण्य में शेरों के स्थानांतरण के कार्य को देखने के लिए समिति गठित की थी लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। गिर के जंगल में हाल में शेरों के मौत के बाद से उन्हें स्थानांतरित किए जाने की मांग उठने लगी है। 2015 में किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक गिर के जंगल में 523 शेर थे। (भाषा)