भाव 2025 में भारत की शानदार सांस्कृतिक धरोहर की प्रस्तुति

WD Feature Desk

शनिवार, 25 जनवरी 2025 (16:02 IST)
भारत के सबसे बड़े कला और सांस्कृतिक शिखर सम्मेलन, भाव-दी एक्सप्रेशंस समिट 2025 के पहले दिन, द आर्ट ऑफ लिविंग ने 'सीता चरितम', भारत के सबसे बड़े लाइव प्रदर्शन कला समागम की शुरुआत की। इसमें 500 कलाकारों, 30 नृत्य, संगीत और कला रूपों का संगम हुआ। यह समागम 180 देशों में यात्रा करेगा और इसमें 20 से अधिक संस्करणों से लिया गया एक अनोखा संवाद शामिल होगा, जिसमें कई स्थानीय भाषाओं में गाए गए गीत भी होंगे।ALSO READ: प्रयागराज कुंभ मेले में स्नान करने जा रहे हैं तो इन 5 जगहों के दर्शन अवश्य करें
 
भाव 2025 में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला, जिसमें पश्चिम बंगाल से 10 ट्रांसजेंडर कलाकारों की भारतनाट्यम प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और 'आर्ट ऑफ लिविंग' के 'आउट ऑफ बॉक्स' संगीत बैंड की धुनों पर दर्शक झूम उठे, जिसमें पूर्व कैदी कलाकारों का समूह शामिल था।
 
'अगर एक भी संस्कृति, धर्म या सभ्यता समाप्त हो जाए, तो दुनिया निर्धन हो जाएगी,' यह विचार वैश्विक मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर के है, जिनके दृष्टिकोण ने इस विशाल सांस्कृतिक उत्सव को आकार दिया। 'हर संस्कृति दुनिया की धरोहर का हिस्सा है और हमें इन्हें संरक्षित रखना चाहिए।'
 
कला के विविध रूपों को स्वीकारते हुए, भारतीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा, 'कुंभ में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग एकत्र होते हैं। आज, जब मैं यहां इस सांस्कृतिक सभा में खड़ा हूं, तो मुझे कलाकारों और कला के साधकों का कुंभ नजर आता है।'
 
भाव 2025 की शुरुआत एक गहरे भावनात्मक अनुभव के रूप में हुई। चाहे वह काव्या मुरलीधरन और उनकी मंडली द्वारा प्रस्तुत भावुक भारतनाट्यम हो, या फिर तीन पीढ़ियों द्वारा प्रस्तुत कथक, जो कथक सम्राट मनीषा साठे के नेतृत्व में मंच पर आकर हर पीढ़ी को एकजुट करते हुए दिखाई दी। राम भजन की प्रस्तुति, जिसमें 30 कलाकारों की टोली ने सजीव संगीत का आयोजन किया, दर्शकों को भावुक कर दिया। गरबा गीतों की प्रस्तुति ने भी दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया।ALSO READ: 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में शाही स्नान पर बन रहा है महा संयोग, स्नान, दान और तर्पण से होगा लाभ
 
सुषांत दिविकर ने उद्घाटन समारोह के अंत में कहा, 'कला जाति, धर्म और लिंग की सभी सीमाओं को पार कर जाती है,' और यही इस उत्सव का सच था।
 
इस आयोजन में 600 से अधिक प्रतिनिधि एकजुट होकर कला के इस विशाल समुदाय का हिस्सा बने, जो इस सम्मेलन की असली पहचान है। यह एकता की भावना केवल आध्यात्मिकता के माध्यम से संभव हो सकती है और भाव इस जीवन के पहलुओं का अन्वेषण करने के लिए कलाकारों को वह स्थान प्रदान करता है।
 
'कलाकार, जो अपनी ऊर्जा और जुनून से खुशी फैलाते हैं, उन्हें भी पुनः ऊर्जा पाने के लिए समय चाहिए,' यह विचार 'द वर्ल्ड फोरम फॉर आर्ट एंड कल्चर' (WFAC) की निदेशिका श्रीमती श्रीविद्या वर्चस्वी का था। उन्होंने कहा, 'भाव 2025 उन्हें यही अवसर प्रदान करता है।'
 
यही स्वर 80 वर्षीय पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह के शब्दों में भी गूंजा, 'यहां आकर बहुत अच्छा अनुभव हुआ और मैं हर साल यहां आना चाहूंगी! मुझे आश्रम के पौधों और जानवरों का भी आनंद मिला।'
 
कला के महापुरुषों और परंपराओं का उत्सव : श्लोकों के उच्चारण के बीच महोत्सव का भव्य उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर, पद्मश्री मंजम्मा जोगथी, पद्मश्री ओमप्रकाश शर्मा, पद्मश्री उमा महेश्वरी, और संगीत सम्राट चित्रवीणा एन. रविकिरण जैसे प्रतिष्ठित कलाकार उपस्थित थे।
 
कला पुरस्कार 2025: भारतीय संस्कृति के रक्षकों को सम्मान : गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर द्वारा प्रस्तुत कला पुरस्कार 2025 में भारतीय कला में उनके जीवन भर के योगदान के लिए प्रसिद्ध कलाकारों को सम्मानित किया गया। सम्मानित कलाकारों में 94 वर्षीय वीणावादक आर. विश्वेश्वरन, मृदंगम के दिग्गज विद्वान ए. आनंद, यक्षगान के नायक बन्नगे सुर्वण, और गरबा कलाकार अतुल पुरोहित शामिल थे।

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