कैसा है माता पार्वती का मंगला गौरी रूप

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Mangala Gauri Swaroop : इन दिनों श्रावण मास जारी है तथा श्रावण मास के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) किया जाता है, जो कि पार्वती जी का ही नाम है। जहां सोमवार भगवान शिव का दिन है वहीं मंगलवार मां पार्वती का दिन माना जाता है। वर्ष 2023 में श्रावण मास में कुल 9 मंगला गौरी व्रत पड़ रहे हैं।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार देवी मंगला आदिशक्ति गौरी का ही मंगल स्वरूप (Mata Mangala Gauri Ka Swaroop) है यानी इस स्वरूप में गौरी माता अपने भक्तों का मंगल ही मंगल करती हैं। माता गौरी का यह मंगलकारी स्वरूप सिंदूरी आभा लिए हुए तथा इसका संबंध मंगल ग्रह और महिलाओं के अखंड सौभाग्य से है।
 
माता मंगला गौरी सुहाग और गृहस्‍थ सुख की देवी मानी जाती हैं। इस दिन देवी पार्वती के गौरी स्वरूप की पूजा होती है। यह माता का 8वां स्वरूप है। इन्हें अष्टमी की देवी भी कहा जाता है। दुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है। यह माता वृषभ पर सवार हैं। इनके चार हाथ हैं। इनका ऊपर वाला दाहिना हाथ अभयमुद्रा में और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू है और नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। इनके वस्त्र भी सफेद रंग के हैं और सभी आभूषण भी श्वेत हैं जिस कारण इन्हें श्वेतांबरी भी कहा जाता है। 
 
परम कृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से संपूर्ण विश्व में विख्यात हुईं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव को पतिरूप में पाने के लिए इन्होंने हजारों सालों तक कठिन तपस्या की थी, जिस कारण इनका रंग काला पड़ गया था परंतु बाद में भगवान शिव ने गंगा के जल से इनके वर्ण को फिर से गौर कर दिया और इनका नाम महागौरी विख्‍यात हुआ।

अत: श्रावण मास का मंगला गौरी व्रत महिलाओं के लिए विशेष रूप से फलदायी है।  शास्त्रों के अनुसार यह व्रत नियमानुसार करने से वैवाहिक सुख में बढ़ोतरी होकर पुत्र-पौत्रादि आदि भी जीवन सुखपूर्वक गुजारते हैं, ऐसा मंगला गौरी माता वरादन मिलता है। 

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