यहां प्रस्तुत है मां दुर्गा के 10 चमत्कारिक और सिद्ध मंदिर जहां जाने से भक्तों की मनोकामना तुरंत ही पूर्ण हो जाती है।
1. ज्वालादेवी : भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में जहां माता की जीभ गिरी थी उसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं। यहां पृथ्वी के भीतर से कई अग्निशिखाएं निकल रही हैं।
2. नैना देवी : कुमाऊं क्षेत्र के नैनीताल में पर्वत पर एक बड़ी सी झील त्रिऋषि सरोवर के समीप मल्लीताल वाले किनारे पर नयना देवी का भव्य मंदिर है।
3. मनसादेवी : मनसादेवी का मंदिर हरिद्वार में है जहां शक्ति त्रिकोण है। इसके एक कोने पर नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी चंडी, दूसरे पर दक्षेश्वर स्थान वाली पार्वती और तीसरे पर बिल्वपर्वतवासिनी मनसादेवी विराजमान हैं।
4. कालीपीठ : भारतीय राज्य बंगाल के कोलकाता शहर के हावड़ा स्टेशन से 5 मील दूर भागीरथी के आदि स्रोत पर कालीघाट नामक स्थान पर कालीकाजी का मंदिर है।
5. हरसिद्धि : भारत के मध्यप्रदेश राज्य के नगर उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के समीप क्षिप्रा नदी के तट पर हरसिद्धि माता का मंदिर है जो राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी है। उज्जैन में ही चमत्कारिक गढ़कालिका का मंदिर भी है।
6. पावागढ़ : गुजरात में चंपारण के पास ऊंची पहाड़ी पर काली माता का प्रसिद्ध मंदिर मां के शक्तिपीठों में से एक है। पावागढ़ में मां के वक्षस्थल गिरे थे। यहां की माता को महाकाली कहा जाता है।
7. अर्बुदा देवी : भारतीय राज्य राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित नीलगिरि की पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटी पर बसे माउंट आबू पर्वत पर स्थित अर्बुदा देवी के मंदिर को 51 प्रधान शक्ति पीठों में गिना जाता है।
8. योगमाया : भारतीय राज्य कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 27 किलोमीटर मील उत्तर में गांदरबल जिले के तुलमुला गांव के एक जलाशय के मध्य में योगमाया का मंदिर स्थित है। यहां माता को राज्ञाना देवी और क्षीर भवानी और खीर भवानी भी कहते हैं।
9. गुवहाटी : भारतीय राज्य असम में गुवहाटी से 2 मिल दूर पश्चिम में नीलगिरि पर्वत पर स्थित सिद्धिपीठ को कामाख्या या कामाक्षा पीठ कहते हैं। कालिका पुराण में इसका उल्लेख मिलता है।
10. विन्ध्याचल : कंस के हाथ से छुटकर जिन्होंने भविष्यवाणी की थी वहीं श्रीविन्ध्यवासिनी हैं। यहीं पर भगवती ने शुंभ और निशुंभ को मारा था। इस क्षेत्र में शक्ति त्रिकोण है।