असम सरकार द्वार राज्य में स्थित भीमाशंकर को देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बताते हुए अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिया। विज्ञापन में नक्शे के माध्यम से बताया गया है कि भीमाशंकर असम में कहां स्थित है। विज्ञापन में कहा गया है, असम के कामरूप जिले में दाकिनी पर्वत पर मौजूद देश के छठे ज्योतिर्लिंग में आपका स्वागत है। विज्ञापन से महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है, क्योंकि पुणे में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की सैंकड़ों वर्षों से मान्यता है।
12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है।
अर्थ- सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल पर मल्लिकार्जुन, उज्जैन में महाकाल, ओंकार तीर्थ में परमेश्वर, हिमालय के शिखर पर केदार, डाकिनी में भीमशंकर, वाराणसी में विश्वनाथ, गोदावरी के तट पर त्र्यंबक, चिता भूमि में वैद्यनाथ, दारूकावन में नागेश, सेतुबंध में रामेश्वर और शिवालय में घुश्मेश्वर का स्मरण करें। जो प्रतिदिन प्रात: काल उठकर इन बारह नामों का पाठ करता है वह सब पापों से मुक्त हो संपूर्ण सिद्धियों का फल पाता है।
डाकिनी नामक स्थान कहां हैं?
यो डाकिनीशाकिनिकासमाजै: निषेव्यमाण: पिशिताशनेश्च।
सदैव भीमेशपद्प्रसिद्धम्, तं शंकरं भक्तहिंत नमामि।
पुणे के पास?: उपरोक्त शक्लोक में भीमशंकर ज्योतिर्लिंग की स्थिति डाकिनी नामक स्थान पर बताई गई है। यह स्थान महाराष्ट्र में मुम्बई से पूर्व तथा पूना से उत्तर की ओर स्थित बताया जाता है, जो भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर हैं। भीमा नदी भी इसी पर्वत से निकलती है। यहां के भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से जानते हैं। ऐसा कहा जाता है की शिव जी ने यहीं किया था कुम्भकर्ण के बेटे का वध, तभी से यहां पर ये मंदिर स्थापित है। यहां पर भगवान शिव ने भीमासुर राक्षस का वध किया था। नासिक से यह स्थान 180 किलोमीटर पड़ता है। पुणे के पास तलेगांव से भी यहां जा सकते हैं।
गुवाहाटी के पास ?: असम के गुवाहाटी के लोगों का मानना है कि भीमाशंकर महाराष्ट्र में नहीं बल्कि गुवाहाटी की पहाड़ियों में स्थित है। कामरूप के मनोहारी पर्वतों और वनों के बीच चलते हुए वहां की निर्जन घाटी में पहुंच कर दाकिनी नामक स्थान पर यह प्राचीन ज्योतिर्लिंग स्थित है। गुवाहाटी की पहाड़ियों में जहां भीमाशंकर स्थित है वहां चौबीसों घंटे वहां उनका जल से अभिषेक होता रहता है। वर्षा ऋतु में तो वे पूरी तरह नदी में डुबकी लगा लेते हैं। स्थानीय विद्वानों के अनुसार असम वैष्णव भक्ति की आंधी के कारण भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पिछली कुछ सदियों से गुमनामी के अंधेरे में खो गया था।
असम के विद्वानों के दावों के अनुसार शिवपुराण में अध्याय 20 में श्लोक 1 से 20 तक और अध्याय 21 में श्लोक 1 से 54 तक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के प्रादुर्भाव की कथा बताई गई है। जिसके अनुसार ये ज्योतिर्लिंग कामरूप राज्य के इन पर्वतों के बीच यहीं स्थापित हैं।
कंफ्यूजन : भीमाशंकर को लेकर जो भी हमें श्लोक मिलते हैं उसमें डाकिनी स्थान पर इसके होने का उल्लेख है। उसमें किसी भी स्थान पर सहयाद्रि पर्वत या कामरूप पर्वत का उल्लेख अभी नहीं मिला है। यह तो तय है कि डाकिनी नामक स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग हैं, लेकिन यह स्थान कहां है? इसको लेकर शोध होना चाहिए।