दिल का हाल बयां करती कविता : धड़कन...

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
जुबां नहीं होती दिल का हाल
कैसे बयां करतीं तेरी नजदीकियां।
 
बहारों से पूछता बिन हवाओं
कौन रखता खुशबू का हिसाब 
फूल नादां भौंरे नादां
गुंजन कर किसका दे रहे संकेत।
 
कहीं तुम तो नहीं निकल रही 
आम के मौर और टेसू के फूल 
झांक रहे टहनियों की खिड़कियों से।
 
लगता वसंत ला रहा
तुम्हारे आने का पैगाम
धड़कन की जुबां भी गुनगुनाने लगी 
इस मौसम में हर दिल की धड़कनें 
बयां करती हैं तेरी नजदीकियां।

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