कागा तुम नहीं आते मेरे द्वार
वर्षों पहले तुम आते थे
अपनी कांव-कांव से यह बताते थे
कि प्रिय घर आने वाले हैं।
खैर मैने भी तुम्हारी निष्ठुरता से तंग आकर
एक वैज्ञानिक यंत्र कम्यूटर से दोस्ती कर ली
और प्रतिदिन ई-मेल चैटिंग से
और संदेशे का जवाब आया है कि
प्राप्तकर्ता अपने पते पर उपलब्ध नहीं है।
इसलिए तुम तीनों से हाथ जोड़कर है ये गुहार