मंदिरों में क्यों लगाते हैं घंटियां

Webdunia
सोमवार, 5 सितम्बर 2022 (15:00 IST)
सभी हिन्दू मंदिरों में बड़ी या छोटी घंटियां लगाई जाती है। मंदिर में प्रवेश करते वक्त घंटी बताते हुए प्रवेश किया जाता है। कई लोग मंदिर से बाहर निकलते समय भी बजाते हैं जो कि उचित नहीं है। घंटी के कई प्रकार हैं, जैसे 1.गरूड़ घंटी, 2.द्वार घंटी, 3.हाथ घंटी और 4.घंटा। आओ जानते हैं कि मंदिर में क्यों लगाते हैं घंटी।
 
1. सृष्‍टि का नाद : घंटी को ओम की ध्वनि का प्र‍तीक या सृष्टि के नाद का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए मंदिर में घंटी लगाते हैं। घंटी के रूप में सृष्टि में निरंतर विद्यमान नाद ओंकार या ॐ की तरह है जो हमें यह मूल तत्व की याद दिलाता है।
 
2. वास्तु दोष : जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां से नकारात्मक शक्तियां हटती है। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वारा खुलते हैं। इससे सभी तरह के वास्तुदोष भी दूर हो जाते हैं।
 
3. वातावरण करती है शुद्ध : जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इसलिए भी घंटी लगाते हैं। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती हैं। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
 
4. पापों का करती है नाश : स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के सौ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और यह भी कहा जाता है कि घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है।
 
5. देवताओं के समक्ष लगती हाजरी : जब भी हम मंदिर में जाते हैं तो घंटी बजाते हैं। यह भी कहा जाता है कि घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है। मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है। जिससे शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।
6. जीवाणु विषाणुओं का होता नाश : ऐसा कहते हैं कि घंटी बजाने से वातावरण में एक कंपन पैदा होता है। इस कंपन के वायुमंडल में फैलने से जीवाणु, विषाणु इस तरह के सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं और वातावरण शुद्ध हो जाता है।
 
7. मन रहता है शांत : घर के पूजाघर या मंदिर में प्रात: और संध्या को ही आरती करते वक्त घंटी बजाने का नियम है। वह भी लयपूर्ण। इससे हमारा मन शांत होकर तनाव हट जाता है। घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है।
 
8. नकारात्मक शक्तियां होती हैं दूर : लगातार घंटी बजाए जाने से नकारात्मक शक्तियां हटती है। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वारा खुलते हैं। प्रात: और संध्या को ही घंटी बजाने का नियम है। वह भी लयपूर्ण।
 
9. कालचक्र का प्रतीक घंटी : घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जब प्रलय काल आएगा तब भी इसी प्रकार का नाद यानि आवाज प्रकट होगी। चारों ओर घंटियों की आवाज सुनाई देगी।
 
 
10. आरती के लिए लगाते हैं घंटी : मंदिर में देवी या देवताओं की जब आरती की जाती है तो तब आरती के दौरान घंटी बजाई जाती है। देवालयों में घंटी और घड़ियाल संध्यावंदन के समय आरती करने के लिए बजाएं जाते हैं।

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