भारतीय शेयर बाजारों (बीएसई तथा एनएसई) में 6000 से अधिक कंपनियाँ लिस्टेड हैं। इतनी कंपनियों में ऐसी कंपनी छाँटना, जिसमें निवेश करने पर जोखिम कम हो, एक कठिन काम है। रिस्क-एवर्स (कम जोखिम उठाने वाले) निवेशकों की दिलचस्पी ऐसी कंपनियों में होती है, जो नियमित रूप से लाभ में वृद्धि के साथ-साथ उदार लाभांश (डिविडेंड) भी देती हो। इस प्रकार की कंपनियों को डिफेंसिव स्टॉक (रक्षात्मक शेयर) कहा जाता है। इन कंपनियों पर आर्थिक चक्र (इकॉनॉमिक साइकल) का तुलनात्मक रूप से प्रभाव कम पड़ता है और इसलिए इन शेयरों में उतार-चढ़ाव भी कम होता है। सामान्य रूप में देखा गया है कि डिफेंसिव स्टॉक खाद्य पदार्थ, तम्बाकू, फार्मास्युटिकल्स, यूटिलिज आदि सेक्टर से संबंधित होते हैं।
बेंजामिन ग्राहम को 'वेल्यू इन्वेस्टिंग' का जनक कहा जाता है। उनकी पुस्तक 'द इंटेलिजेंट इंवेस्टर' सन 1949 में प्रकाशित हुई और इसमें उन्होंने डिफेंसिव स्टॉक को पहचानने के गुर बताए। इसके लिए उन्होंने 7 मापदंड निर्धारित किए जो निम्नलिखित हैं :-
कंपनी का आकार पर्याप्त हो तर्कसंगत अनुमान है कि छोटी कंपनी की आय बड़ी कंपनी के मुकाबले अस्थिर रहेगी। बड़ी कंपनी में निवेश कम जोखिम भरा काम है।
वित्तीय स्थिति मजबूत हो दो अनुपातों के उपयोग से कंपनी की आर्थिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। करेन्ट रेशो (करेन्ट एसेट्स/करेंट लायबिलीटीज) 2 से अधिक होना चाहिए तथा लंबी अवधि के उधार वर्किंग कैपिटल से ज्यादा न हो।
शुद्ध लाभ में स्थिरता आवश्यक गत 10 वर्षों में कंपनी द्वारा निरंतर लाभ कमाना जरूरी है।
डिविडेंड रिकॉर्ड उत्तम हो कंपनी द्वारा नियमित रूप से शेयरधारकों को लाभांश देना भी डिफेंसिव स्टॉक की पहचान है।
वार्षिक आय में पर्याप्त बढ़त तीन सालों के औसत का उपयोग करते हुए गत 10 वर्षों में प्रति शेयर आय (ईपीएस) में 1/3 की बढ़त होना चाहिए।
पीई रेशो अत्यधिक न हो पीई रेशो 15 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से 'ओव्हरपे' की गलती से बचा जा सकता है।
प्राइस टू बुक वेल्यू उचित हो यह रेशो 1.5 से कम होना चाहिए। बेंजामिन ग्राहम ने यहाँ कुछ छूट दी है। यदि पीई रेशो कम हो तो प्राइस टू बुक वेल्यू अनुपात थोड़ा अधिक भी हो सकता है।
डिफेंसिव स्टॉक होने के लिए इन 7 में से 6 मापदंड पूरे करना जरूरी है। हालाँकि बेंजामिन ग्राहम के ये 7 मापदंड डिफेंसिव स्टॉक पहचानने के लिए हर शेयर बाजार में प्रासंगिक हैं, किंतु भारतीय शेयर बाजारों के तेजी से बदलते स्वरूप तथा वेल्यूशन को ध्यान में रखते हुए इस रूपरेखा का शुद्ध तथा समुचित प्रयोग कठिन है। फिर भी इस नए परिवेश में दो भारतीय कंपनियाँ डिफेंसिव स्टॉक कहलाने के काफी करीब हैं। यह है आईटीसी लिमिटेड तथा वॉकहार्ट लिमिटेड।