टोक्यो ओलंपिक में जब पुरुष हॉकी टीम 41 साल बाद मेडल जीतकर आयी थी तो ऐसा लगा था कि यह मृत खेल अब जीवंत हो उठेगा। लेकिन इंदौर के शहर में एक तस्वीर सामने आयी है जिसमें खिलाड़ी फुटपाथ पर हॉकी खेल रहे हैं।
इंदौर शहर हॉकी खिलाड़ी मीररंजन नेगी के नाम से जाना जाता है लेकिन इस शहर ने भी पुरुष हॉकी टीम के मेडल लाने के बाद लगता है अपने स्थानीय हॉकी खिलाड़ी को भुला दिया है।
मयंक ने यह भी बताया कि फुटपाथ पर खेलना कितना खतरनाक है। उन्होंने कहा कि"सड़क और चलते ट्रैफिक होने के कारण यहां बच्चों का ज्यादा चोटिल होना स्वभाविक है। खिलाड़ियों को अभ्यास के दौरान घुटने की चोट हो जात है तो कभी दांत टूट जाते हैं। यहां तक की दुर्घटना का शिकार भी कुछ खिलाड़ी हो चुके हैं।"
मयंक ने बताया कि वैसे तो इंदौर में नेहरू स्टेडियम हैं लेकिन वहां दूसरे खेल ज्यादा खेले जाते हैं। क्रिकेट, बास्केटबॉल, फुटबॉल और टेनिस खेले जाने के कारण वहां जगह की कमी पड़ जाती है।
मयंक ने कहा" नेहरू स्टेडियम में एक छोटा मैदान हमें दिया गया था लेकिन वहां फुटबॉल चलता है इस कारण हम एडजस्ट नहीं कर पाते हैं।"
इंदौर में नहीं है एक भी टर्फ
खिलाड़ी ने पत्रकार से बातचीत में यह खुलासा किया कि मध्यप्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जहां हॉकी के बहुत से टर्फ( हॉकी का ऑरिजनल ग्राउंड) हैं। बल्कि इंदौर से छोटे और लो प्रोफाइल शहरों में टर्फ है। मंदसौर में एक टर्फ है, जबलपुर में टर्फ है। इसके अलावा भोपाल में चार टर्फ है। लेकिन इंदौर में एक भी टर्फ नहीं है।
पत्रकार ने जब उनसे पूछा कि उनकी क्या मांग है तो मयंक ने कहा कि हमें टर्फ ना सही तो एक अलग मैदान ही मिल जाए उनके लिए यह ही काफी है। उन्होंने कहा"कम से कम इससे जो खिलाड़ी और युवा हैं वह दुर्घटना से बच सकेंगें और प्रतिभा को निखारा जा सकेगा। उनके साथ कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी जुड़े हैं जो हॉकी खेलते हैं। मीररंजन नेगी हॉकी सिखाने भी आते हैं।"
मीररंजन नेगी ने किया कमेंट
मीर रंजन नेगी ने इस वीडियो पर कमेंट किया कि यह काफी दुख की बात है कि पिछले 3-4 सालों से खेल फुटपाथ पर खेला जा रहा है। कई प्रयासों के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली। मैं चाहता हूं कि इन 150 बच्चों को सुबह शाम हॉकी खेलने के लिए एक मैदान मिल जाए।