पं. राजेश कुमार ने मीडिया से कहा कि कुछ हिंदुओं ने मुझसे काबुल छोड़ने के लिए कहा, उन्होंने मेरे ट्रैवल और मेरे रुकने का प्रबंध करने का भी प्रस्ताव दिया, लेकिन मेरे पूर्वजों ने सैकड़ों वर्षों तक इस मंदिर की सेवा की है और अब मैं इसे ऐसे छोड़कर नहीं जा सकता हूं। अगर तालिबान मुझे मार भी देता है तो मैं इसे अपनी सेवा समझूंगा। रतननाथ मंदिर, काबुल का आखिरी बचा हिन्दु मंदिर है, जहां पर सामान्य दिनों में पूजा करने के लिए हिन्दू अनुयायियों की भीड़ देखी जा सकती थी।