दिल्ली में पारे की गिरावट के चलते ठंड ने बेशक पिछले कुछ साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया हो पर राजधानीवासियों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ रहा। हाड़ कँपाने वाली ठंड में भी बहुत से दिल्ली और एनसीआर वाले कश्मीर की हसीन वादियों में बर्फ का मजा ले रहे हैं। ट्रैवल एजेंसी संचालकों के मुताबिक, राजधानी से रोजाना दर्जनों परिवार सप्ताह भर या इससे ज्यादा का कार्यक्रम बनाकर श्रीनगर का रुख कर रहे हैं।
इसे खत्म होते आर्थिक मंदी के प्रभाव का असर कहें या आतंकवाद का कम होता डर कि श्रीनगर की डल झील और दूसरे पर्यटक स्थलों पर पिछले एक सप्ताह से दिल्ली वालों का खासा जमावड़ा लगा हुआ है। हाल ही में घटी आतंकवादी घटना का भी लोगों के कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ रहा। दरियागंज स्थित ट्रैवल एजेंसी क्लिक टू ट्रैवल के मालिक सिद्धार्थ जैन का कहना है कि रोजाना अच्छी तादाद में लोग कश्मीर में हो रही बर्फबारी का मजा लेने के लिए दिल्ली से रवाना हो रहे हैं।
जो लोग नए साल पर कहीं नहीं जा सके या भीड़-भाड़ भरे माहौल में कहीं जाना पसंद नहीं करते, वे भी कश्मीर का टिकट कटा रहे हैं। श्रीनगर में सप्ताह भर के यात्रा कार्यक्रम से हाल ही में लौटे कमल कुमार का कहना है कि बर्फ की निर्मल, चमकदार और सफेद चादर के सामने ठंड का अहसास ही नहीं होता। शून्य से नीचे चल रहे तापमान में बर्फ की चादर पर अठखेलियाँ करने का अपना ही मजा है।
नर्म सफेद बर्फ को देखकर बच्चे तो जैसे दीवाने ही हो जाते हैं। बर्फ पर स्कीइंग करने का अपना अलग ही मजा है। जिसे स्कीइंग आती है वह भी और जिसे नहीं आती वह भी एक बार तो मैदान में उतर ही जाते हैं। रंग-बिरंगे ऊनी गर्म कपड़ों में बच्चे जब बर्फ के घरोंदे बनाकर या एक-दूसरे पर बर्फ का गोला फेंकते हुए खेलते हैं तो यह नजारा कैमरे में कैद करने लायक होता है।
एक दैनिक अखबार में काम करने वाले विजय गुप्ता ने बताया कि 'हमने 15 से 20 जनवरी के बीच में श्रीनगर घूमने जाने का कार्यक्रम बना रखा है। हमारे साथ चार परिवार और भी जा रहे हैं।' रुबीना ने बताया कि एक सप्ताह कैसे खत्म हो गया, कश्मीर जाकर मालूम ही नहीं पड़ा। वहाँ के हरे-भरे पेड़, फूल और पत्ते सब सफेद नजर आ रहे हैं।
घरों और आशियानों पर ठंडी सफेद बर्फ की मखमली चादर बिछी हुई लगती है। पहाड़ की चोटियों पर जहाँ तक नजर जाती है बस बर्फ ही बर्फ है। यहाँ आकर ऐसा लगता है जैसे सभी कुछ बर्फमय हो गया है। बच्चों को बर्फ पर खेलने से रोकना तो नामुमकिन है। बच्चे हों या बड़े यहाँ आकर हर कोई बस वादियों की खूबसूरती को अपनी आखों और कैमरों में समेटना चाहता है। तो आप कब रुख कर रहे हैं कश्मीर का।