यूएन एजेंसियों की चेतावनी है कि इसराइल ने अगर रफ़ाह में हमला किया तो वहां पनाह ले रहे लगभग 14 लाख लोगों को लिए घातक परिणाम होंगे। ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े रफ़ाह में इसराइल के सम्भावित हमले की ख़बरों के बीच, वहां पनाह ले रहे लगभग एक लाख फ़लस्तीनियों को वो इलाक़ा छोड़कर कहीं अन्यत्र चले जाने के लिए कहा गया है।
मीडिया ख़बरों के मुताबिक इसमाइल हानियेह ने क़तर के प्रधानमंत्री और मिस्र के एक वरिष्ठ मंत्री के साथ फ़ोन बातचीत में ये पुष्टि की। क़तर और मिस्र ग़ाज़ा युद्ध में इसराइल और हमास के बीच सुलह कराने के लिए वार्ताओं का नेतृत्व कर रहे हैं।
अलबत्ता, इसराइल के नेतृत्व ने ख़बरों के अनुसार, ये संकेत दिया है कि हमास ने जिस समझौते का ज़िक्र किया है वो युद्ध का अन्त करने के लिए, इसराइल की मांगें पूरी करने से बहुत दूर है। इसराइल ने कहा है कि वो युद्धविराम पर बातचीत जारी रखने के लिए अपना एक प्रतिनिधिमंडल भेजेगा, और इस बीच उसका रफ़ाह आक्रमण अभियान भी जारी रहेगा।
'समझौता करें': गुटेरेश: इस बीच यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इसराइल और हमास दोनों ही पक्षों से ग़ाज़ा में युद्ध का अन्त करने और लोगों की पीड़ाओं का ख़ात्मा करने के लिए हर सम्भव क़दम उठाने का आग्रह किया है।
यूएन प्रमुख के प्रवक्ता ने उनके वक्तव्य में कहा है कि एंतोनियो गुटेरेश ने इन ख़बरों पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की कि इसराइल, ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े में एक बड़ा आक्रमण शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
यूएन महासचिव ने युद्धरत पक्षों को प्रबल शब्दों में याद दिलाया कि आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत उनकी ज़िम्मेदारी है और यह बहुत अहम पहलू है।
UNRWA की प्रतिबद्धता: फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी– UNRWA ने सोशल मीडिया सन्देश में कहा है कि रफ़ाह में इसराइली हमले का मतलब होगा, आम लोगों की और अधिक पीड़ा और मौतें। परिणाम लगभग 14 लाख लोगों के लिए बहुत घातक होंगे।
UNRWA ने कहा है कि वो रफ़ाह इलाक़े को नहीं छोड़ेगी और जब तक सम्भव होगा, ये एजेंसी रफ़ाह में अपनी मौजूदगी बरक़रार रखेगी और लोगों को जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराना जारी रखेगी।
बच्चों के अस्तित्व का सवाल: संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने भी इन्हीं चेतावनियों को दोहराते हुए कहा है कि रफ़ाह में सेन्य घेराबन्दी और ज़मीनी हमले के उन लगभग छह लाख बच्चों के लिए अति विनाशकारी परिणाम होंगे, जो वहां पनाह लिए हुए हैं।
यूएन बाल एजेंसी ने रफ़ाह में बढ़ती हिंसा की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि बहुत से बच्चे बेहद निर्बल हालात में हैं और वो अपनी ज़िन्दगी को बरक़रार रखने के लिए बिल्कुल आख़िरी छोर पर पहुंच चुके हैं।
यूनीसेफ़ ने इस बारे में भी आगाह किया है कि रफ़ाह से लोग जिन तथाकथित सुरक्षित गलियारों से निकलेंगे, वहां बारूदी सुरंगें और बिना फटे विस्फोटक मौजूद होने की आशंका है।
यूनीसेफ़ ने ज़ोर देकर कहा है कि रफ़ाह में इसराइल के किसी भी हमले से बड़ी संख्या में आम लोग हताहत होंगे, साथ ही वहां-खुची बुनियादी सेवाएं भी बिल्कुल तबाह हो जाएंगे, जबकि लोगों को जीवित रहने के लिए उन सेवाओं की ज़रूरत है।
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने कहा है, “रफ़ाह में फंसे लाखों बच्चे इस समय घायल, बीमार और कुपोषण के शिकार हैं, वो भायभीत हैं और बहुत से बच्चे अपंगता के भी शिकार हैं”
“बहुत से बच्चों को बार-बार विस्थापित होना पड़ा है, और उनके घर, माता-पिता और प्रियजन भी उनसे छिन गए हैं। इन बच्चों को, वहां की बुनियादी सेवाओं के साथ ही संरक्षण की आवश्यकता है, जिनमें चिकित्सा सेवाएं और आश्रय शामिल हैं”
पूर्ण अकाल निकट: इस बीच विश्व खाद्य कार्यक्रम ने भी कहा है कि ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में अब “पूर्ण स्तर के अकाल देखा जा रहा है... और ये अकाल अब दक्षिणी इलाक़ों की तरफ़ भी बढ़ रहा है”। यूएन खाद्य सहायता एजेंसी की कार्यकारी निदेशक सिंडी मैक्कैन और संयुक्त राष्ट्र के अनेक वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने मानवीय सहायता आपूर्ति पर इसराइली अधिकारियों की पाबन्दी और देरी के बारे में इसी तरह की गम्भीर चिन्ताएं व्यक्त की हैं।
UNRWA के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने ज़ोर देकर कहा है, “इसराइली अधिकारियों ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा मुहैया कराई जाने वाली मानवीय सहायता की आपूर्ति को रोकना जारी रखा हुआ है”
उन्होंने रविवार को सोशल मीडिया मंच पर कहा, “पिछले दो सप्ताहों के दौरान ही, ऐसी दस घटनाएं हुई हैं जिनमें सहायता क़ाफ़िलों पर गोलीबारी हुई, यूएन कर्मचारियों को गिरफ़्तार किया गया, उन्हें प्रताड़ित किया गया, उन्हें निर्वस्त्र किया गया, हथियार दिखाकर उन्हें धमकाया गया और सीमा चौकियों पर सहायता क़ाफ़िलों को रोके रखा गया, जिससे उन्हें या तो अन्धेरे में यात्रा करनी पड़ी या उन्हें रोक देना पडा”
UNRWA के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने कैरेम शेलॉम सीमा चौकी पर हुए रॉकेट हमलों की भी निन्दा की है जिनमें तीन इसराइली सैनिकों के मारे जाने की ख़बरे हैं, जिसके बाद उस सीमा चौकी को बन्द कर दिया गया है। ये सीमा चौकी, ग़ाज़ा में मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश बिन्दु है।
अल मवासी सुरक्षित नहीं है: मीडिया ख़बरों के अनुसार, इसराइली सेना ने रफ़ाह के पूर्वी इलाक़े में हवा से कुछ पर्चियां गिराई हैं जिनमें लोगों को तथाकथित सुरक्षित क्षेत्र अल मवासी की तरफ़ चले जाने के लिए कहा गया है, जोकि रफ़ाह के पश्चिमी इलाक़े में है।
संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने पहले भी इसराइली सेना द्वारा, लोगों को स्थान ख़ाली करने की इस तरह की योजनाओं को ख़ारिज किया था क्योंकि उनमें जबरन विस्थापन शामिल है।
ग़ाज़ा में UNRWA के संचार अधिकारी लुइस वाटरिज ने यूएन न्यूज़ को बताया है, “अल नवासी में बुनियादी ढांचे की भारी कमी है, और वहां पानी भी उपलब्ध नहीं है और वहां का ढांचा, लाखों विस्थापित लोगों की ज़रूरतों को पूरा नहीं कर सकता।”
UNRWA की प्रवक्ता जूलिएट टौमा ने ज़ोर देकर कहा है, कि किए जा रहे दावों से उलट, वो इलाक़ा बिल्कुल भी सुरक्षइत नहीं है, क्योंकि ग़ाज़ा में कोई भी इलाक़ा सुरक्षित नहीं है।
7 अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल में हमास के आतंकी हमले के बाद, ग़ाज़ा में इसराइल की भीषण बमबारी और ज़मीनी हमले में 34 हज़ार 680 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें क़रीब 14 हज़ार बच्चे हैं। ग़ाज़ा के स्थानीय अधिकारियों के अनुसार 78 हज़ार से अधिक लोग घायल भी हुए हैं।
हमास के हमले में लगभग 1,250 लोग मारे गए थे और लगभग 250 लोगों को बन्धक बना लिया गया था, जिनमें से कुछ अब भी हमास की हिरासत में हैं।