रिहायशी इलाक़ों में विस्फोटक हथियारों के इस्तेमाल से हज़ारों बच्चे हताहत

UN

मंगलवार, 23 अप्रैल 2024 (13:17 IST)
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) का कहना है कि नागरिक आबादी वाले इलाक़ों में विस्फोटक हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाए जाने से युद्ध के दौरान हताहत होने वाले बच्चों की संख्या में क़रीब 50 फ़ीसदी तक की कमी लाई जा सकती है। 

“The ongoing commitment of global leaders and the implementation of the EWIPA Declaration are critical to turning the tide against the use of explosive weapons in populated areas.” - UNICEF Deputy Executive Director @TedChaiban.

Full statement. https://t.co/Gc0XhgVlxm

— UNICEF (@UNICEF) April 22, 2024
यूनीसेफ़ ने आगाह किया है कि जैसे-जैसे शहरी इलाक़ों में लड़ाई के मामले बढ़ रहे हैं, खुले रणक्षेत्रों के लिए विकसित किए हथियारों का इस्तेमाल अब शहरों, नगरों व गांवों में बढ़ रहा है।

आबादी वाले इलाक़ों में भारी हथियारों व विस्फोटकों के इस्तेमाल का आम नागरिकों विशेष रूप से बच्चों पर भयावह असर होता है।

वर्ष 2018 से 2022 के दौरान दुनियाभर में 24 से अधिक हिंसक टकराव से ग्रस्त इलाक़ों में कुल साढ़े 47 हज़ार बच्चे हताहत हुए, जिनमें 49.8 प्रतिशत मामलों के लिए विस्फोटक हथियारों का प्रयोग ज़िम्मेदार था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा सत्यापित इन मामलों में से अधिकांश मामले घनी आबादी वाले इलाक़ों में दर्ज किए गए।

यूनीसेफ़ के उप कार्यकारी निदेशक टैड चायबॉन ने स्पष्ट किया कि इन साक्ष्यों को नकारा नहीं जा सकता है। जब रिहायशी इलाक़ों में विस्फोटक हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है, तो बच्चों को गहरी पीड़ा का सामना करना पड़ता है, ना केवल शारीरिक रूप से बल्कि उनके जीवन के हर पहलू में। हज़ारों युवा ज़िन्दगियां या तो अचानक ख़त्म हो जाती हैं या फिर हर साल हमेशा के लिए बदल जाती हैं।

यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार बच्चों को इससे शारीरिक चोट व अन्य ज़ख्म तो पहुंचते ही हैं, मगर उन्हें मनोवैज्ञानिक, शैक्षिक व सामाजिक प्रभावों से भी जूझना पड़ता है, जोकि जीवन-पर्यन्त, पीड़ादाई अनुभव के रूप में जारी रह सकते हैं।

विस्फोटक हथियारों के इस्तेमाल के सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय असर भी हैं, जिससे बच्चों के लिए स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, स्वच्छ जल व अन्य अति आवश्यक सेवाओं की सुलभता प्रभावित होती है। बुनियादी ढांचे के विध्वंस से बच्चों के विकास और सामुदायिक स्वास्थ्य पर भी दीर्घकालिक दुष्परिणाम हो सकते हैं।

क्‍यों ज़रूरी है रोकथाम : यूनीसेफ़, हिंसक टकरावों से जूझ रहे इलाक़ों में ज़मीनी स्तर पर प्रयासों में जुटा है, ताकि ऐसे हथियारों से होने वाले असर को कम किया जा सके, ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुंचाना सम्भव हो और जोखिम का सामना कर रहे बच्चों को सहारा दिया जा सके।

मगर यूएन एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा कि रोकथाम की सख़्त आवश्यकता है, जिसके लिए एक मज़बूत, सतत अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की दरकार है। नवम्बर 2022 में रिहायशी इलाक़ों में विस्फोटक हथियारों के इस्तेमाल पर एक राजनैतिक घोषणापत्र पारित किया गया, जिसके बाद पहली बार इस सप्ताह नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में इस विषय पर एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है।

85 से अधिक देशों ने इस घोषणापत्र को अपना समर्थन दिया है, जोकि आबादी वाले इलाक़ों में सैन्य अभियान के दौरान नागरिकों को हताहत होने से से बचाने के लिए क़दम उठाने पर केन्द्रित है।

भावी पीढ़ियों की रक्षा : यूनीसेफ़ ने सभी युद्धरत पक्षों से पुकार लगाई है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा व उनके प्रति सम्मान ज़रूरी है, और इसके लिए आबादी वाले इलाक़ों में विस्फोटक हथियारों का इस्तेमाल रोका जाना होगा।

सभी देशों से नवम्बर 2022 में पारित घोषणापत्र (Explosive Weapons in Populated Areas / EWIPA) पर हस्ताक्षर किए जाने की अपील की गई है, और हस्ताक्षरकर्ताओं से सैन्य उपाय, नीतियां व तौर-तरीक़े अपनाए जाने का आग्रह किया गया है, ताकि बच्चों को पहुंचने वाली हानि में कमी लाई जा सके।

इसके अलावा, बच्चों की रक्षा सुनिश्चित करने पर लक्षित कार्यक्रमों के लिए सतत वित्त पोषण प्रदान करना होगा, जैसेकि चोट पहुंचने के मामलों की निगरानी, हिंसक टकराव के लिए तैयारी, और पीड़ितों की सहायता।

यूनीसेफ़ ने बताया कि युद्धरत पक्षों को ऐसे विस्फोटक हथियार हस्तांतरित किए जाने से बचना होगा, जिन्हें आम लोगों व नागरिक प्रतिष्ठानों के विरुद्ध इस्तेमाल किए जाने की आशंका हो।

संगठन का कहना है कि EWIPA घोषणापत्र के लिए नेताओं का समर्थन और उसे लागू किए जाने के लिए संकल्प बेहद अहम है।
Edited by: Navin Rangiyal

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