ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े रफ़ाह में विस्थापितों के शिविर पर बीती रात इसराइल के हमले में अनेक लोगों के हताहत होने की ख़बरें हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायताकर्मियों ने इस हमले को सात महीने से चल रहे युद्ध में, नवीनतम क्रूर घटनाक्रम क़रार दिया है।
I condemn Israels actions which killed scores of innocent civilians who were only seeking shelter from this deadly conflict.
There is no safe place in Gaza.
This horror must stop.
— António Guterres (@antonioguterres) May 27, 2024
ख़बरों के अनुसार इसराइली सेना ने रफ़ाह के पश्चिमोत्तर इलाक़े तल-अस-सुल्तान में विस्थापित लोगों के एक शिविर पर हमला किया है। उसके अलावा ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में जबालिया, नुसीरात और ग़ाज़ा सिटी में भी हमले किए गए हैं।
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी– UNRWA ने इन हमलों की ख़बरों के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि रफ़ाह में पनाह लेने वाले परिवारों पर और हमले होने की ख़बरें, हृदय विदारक हैं।
ऑनलाइन मंचों पर प्रकाशित अपुष्ट तस्वीरों में आश्रय स्थल आग में पूरी तरह जल गए नज़र आते हैं और रफ़ाह में हमले की जगह पर क्षत-विक्षत शव भी नज़र आते हैं।
UNRWA ने कहा है, बड़ी संख्या में लोगों के हताहत होने की ख़बरें हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी हैं। ग़ाज़ा, इस ज़मीन पर नरक बन चुका है। बीती रात हुए इस हमले की तस्वीरें, इसकी एक बार फिर पुष्टि करती हैं
UN Human Rights Chief @volker_turk voices his horror at the loss of civilian life after Israeli air strikes hit a #Rafah camp where displaced people were sheltering.
Israel must cease its military offensive in Rafah. All parties to the conflict must put in place a ceasefire.
अन्तरराष्ट्रीय निन्दा : आवास के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर बालकृष्णन राजगोपाल ने इन शब्दों और इसराइली हमलों की अन्तरराष्ट्रीय निन्दा को दोहराते हुए, युद्ध को रोके जेन के लिए संयुक्त वैश्विक कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई है।
ग़ौरतलब है कि अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) गत शुक्रवार को इसराइल से रफ़ाह में सैन्य अभियान को तत्काल रोके जाने का आदेश जारी कर चुका है।
विशेष रैपोर्टेयर बालकृष्णन राजगोपाल ने कहा है, रफ़ाह में महिलाओं और बच्चों पर उस समय हमला करना जब वे अपने आश्रय स्थलों में ठहरे हुए हों, एक हैवानियत भरा अत्याचार है बालकृष्णन राजगोपाल एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ हैं और वह संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं हैं। उन्होंने कहा, हमें इसराइल की गतिविधियों को तत्काल रोकने के लिए संयुक्त वैश्विक कार्रवाई की ज़रूरत है
इसराइली सेना ने एक वक्तव्य जारी करके, इन हमलों में आम नागरिकों को जानबूझकर निशाना बनाने का खंडन किया है और कहा है कि वो हमला हमास के दो नेताओं को निशाना बनाकर किया गया था।
इसराइली सेना के वक्तव्य के अनुसार रफ़ाह के पश्चिमोत्तर इलाक़े में किया गया हमला सटीक हमला था जिसमें यासीन राबिया और ख़ालेद नागर मारे गए हैं, जो पश्चिमी तट में सक्रिय थे, और यह हमला अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के अनुरूप था।
कोई स्थान और व्यक्ति सुरक्षित नहीं: UNRWA ने एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में ग़ाज़ा में इसके कर्मचारियों की सुरक्षा और स्थिति के बारे में चिन्ता व्यक्त की है, जिनके साथ, रफ़ाह में हमला होने के बाद सम्पर्क टूट गया है।
एजेंसी ने कहा है, हम धरातल पर तैनात अपने सहयोगियों के साथ सम्पर्क नहीं स्थापित कर पा रहे हैं। हमें उनकी स्थिति की भी जानकारी नहीं है और हम उनकी और उस इलाक़े में पनाह लिए हुए तमाम विस्थापित लोगों की ख़ैरियत के बारे में अत्यन्त गम्भीर रूप से चिन्तित हैं। कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है. कोई भी जन सुरक्षित नहीं हैं
यूएन मानवीय सहायता कर्मियों ने कहा है कि ग़ाज़ा में जानलेवा हिंसा के अलावा, वहां के लोगों के लिए अकाल भी एक दैनिक ख़तरा है।
सहायता आपूर्ति में देरी जारी: इस मानवीय सहायता एजेंसियों ने आगाह किया है कि इसराइल द्वारा 7 मई को रफ़ाह सीमा चौकी को बन्द किए जाने के बाद, जीवन रक्षक मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति लगभग पूरी तरह ठप हो गई है। UNRWA के ऑनलान पोर्टल के अनुसार गत रविवार के बाद से एक भी सहायता ट्रक ग़ाज़ा में दाख़िल नहीं हो सका है।
एजेंसी के योजना निदेशक सैम रोज़ ने रविवार को एक सोशल मीडिया सन्देश में कहा, मानवीय सहायता सामग्री मौजूद है, कुछ किलोमीटर दूर सीमा पर, जबकि आबादी अकाल के निकट पहुंचती जा रह है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय आपदा राहत समन्वय कार्यालय – OCHA ने भी ग़ाज़ा में मानवीय सहायता सामग्री प्राप्त करने में आ रही गम्भीर बाधाओं की पुष्टि की है, जिसमें इसराइली अधिकारियों द्वारा लगातार देरी, मनमाने तरीक़े से जांच-पड़ताल और पाबन्दियां शामिल हैं।
राहत अभियानों पर दबाव : OCHA ने रविवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि 1 मई से 23 मई के दौरान 31 सहायता मिशनों को दाख़िल होने से रोक दिया गया और 40 अभियानों में देरी हुई, जिनमें कुछ बहुत देरी, सहायता कर्मियों को हिरासत में लिया जाना, चेतावनी फ़ायर किया जाना और आधिकारिक रूप से स्वीकृत हो चुके मिशनों को रोक दिया जाना भी शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम WFP ने भी सोमवार को आगाह किया है कि ग़ाज़ा में अगर बहुत बड़े पैमाने पर खाद्य सामग्री और अन्य मानवीय सहायता सामग्री की तक्काल आपूर्ति नहीं की गई तो हताशा और भुखमरी बढ़ेंगे। यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश भी, इससे पहले चिन्ता व्यक्त कर चुके हैं कि मानवीय सहायता अभियान, ढह जाने के नज़दीक हैं।
यूएन प्रमुख के प्रवक्ता ने रविवार को जारी एक वक्तव्य में कहा, यूएन प्रमुख ने ज़ोर दिया है कि इसराइली अधिकारियों को ज़रूरतमन्द लोगों तक पहुंचाने के लिए, मिस्र की तरफ़ से कैरेम शेलॉम सीमा चौकी से, मानवीय सहायता सामग्री की सुरक्षित आपूर्ति को रास्ता देना होगा
वक्तव्य में कहा गया है, महासचिव ने आम लोगों की तकलीफ़ों का अन्त करने के लिए, तत्काल युद्धविराम बन्धकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की अपनी पुकार दोहराई
एंतोनियो गुटेरेश, ग़ाज़ा में मौजूदा स्थिति के बारे में, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के हाल के आदेशों का पालन नहीं किए जाने पर भी हतप्रभ व निराश हैं। वक्तव्य में कहा गया है, न्यायालय के निर्णय बाध्यकारी हैं।