Economic Survey 2023-24: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा प्रस्तुत की। आर्थिक समीक्षा (Economic Survey) सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले प्रस्तुत किया जाने वाला वार्षिक दस्तावेज है, जिसमें अर्थव्यवस्था की स्थिति की निष्पक्ष समीक्षा होती है।
बजट से एक दिन पहले पेश होती है आर्थिक समीक्षा : वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक संभाग द्वारा आर्थिक समीक्षा तैयार की जाती है। इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है। देश में पहली बार आर्थिक समीक्षा 1950-1951 में पेश की गई थी जब यह बजट दस्तावेजों का ही हिस्सा होती थी।
इसे 1960 के दशक में बजट से अलग किया गया और बजट पेश करने से एक दिन पहले संसद में प्रस्तुत किया जाने लगा। वित्त मंत्री सीतारमण मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत करेंगी।
आर्थिक समीक्षा के मुख्य बिन्दु
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2024-25 में 6.5-7 प्रतिशत रहने का अनुमान।
अनिश्चित वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद घरेलू वृद्धि चालकों ने वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि को समर्थन दिया।
सामान्य मानसून की उम्मीद, आयात कीमतों में नरमी से आरबीआई के मुद्रास्फीति अनुमानों को बल मिलता है।
भारत की नीतियों ने चुनौतियों का कुशलतापूर्वक सामना किया, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की। कर अनुपालन लाभ, व्यय पर अंकुश तथा डिजिटलीकरण से भारत सरकार के राजकोषीय प्रबंधन में बेहतर संतुलन हासिल कर पाया है।
लघु अवधि का मुद्रास्फीति परिदृश्य नरम, पर भारत के समक्ष दलहन की कमी और इसके चलते कीमतों का दबाव।
भू-राजनीतिक तनाव बढ़ना तथा उसका प्रभाव आरबीआई की मौद्रिक नीति के रुख को प्रभावित कर सकता है।
भारतीय वित्तीय क्षेत्र का परिदृश्य उज्ज्वल।
कंपनियों तथा बैंकों का बही-खाता मजबूत होने से निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
भारत की वृद्धि गाथा में पूंजी बाजार प्रमुख भूमिका निभा रहा है; बाजार वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक झटकों के बीच जुझारू बना हुआ है।
वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है, इसलिए इसे वैश्विक या स्थानीय स्तर पर उत्पन्न होने वाली संभावित कमजोरियों के लिए तैयार रहना चाहिए।
कृत्रिम मेधा (एआई) से सभी कौशल स्तरों के श्रमिकों बड़ी अनिश्चितता के बादल छाए।
चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी और निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
देश में विदेश में बसे भारतीयों द्वारा भेजा गया धन 2024 में 3.7 प्रतिशत बढ़कर 124 अरब डॉलर हुआ। 2025 में इसके 129 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान।
करीब 54 प्रतिशत बीमारियां अस्वास्थ्यकर आहार के कारण होती हैं; संतुलित, विविध आहार की ओर बदलाव की जरूरत।