Vaishnodevi bus attacked: 'जाको राखे साइयां, मार सके कोय' यह पंक्ति उस समय सटीक साबित हुई, जब जम्मू में मां वैष्णोदेवी (Maa Vaishnodevi) के दर्शन के लिए तीर्थयात्रियों से भरी एक बस पर कुछ दिन पहले आतंकी हमला (terrorist attack) हुआ। इस हमले में कुछ लोगों की जान चली गई जबकि 34 लोग सुरक्षित बच गए। बस में सवार लोगों का दिल आतंकी घटना को याद करके आज भी सहम जाता है।
53 सीटर बस थी : जिस बस पर हमला हुआ था, वह 53 सीटर थी। इसमें ड्राइवर समेत 49 श्रद्धालु सवार थे। आतंकी घटना के गवाह मेरठ के 3 युवक भी बने हैं, जो मौत को मात देखकर वापस मेरठ लौटे हैं। इन भक्तों का कहना है कि स्थानीय अखबार में पढ़ा था कि NIA को आतंकी हमले के इनपुट मिले हैं लेकिन यह नहीं मालूम था कि अधिकांश उत्तरप्रदेश से गए लोगों की बस को आतंकी टारगेट करेंगे। खौफनाक मंजर को देखने वाले इन देवी भक्तों की जुबानी सुनवाते हैं बस पर आतंकी घटना का लाइव विवरण।
आतंकियों ने बस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं : रियासी जिले में बीते रविवार को शाम के समय तीर्थयात्रियों से भरी बस शिवखोड़ी से दर्शन करने के बाद कटरा जा रही थी। बस में बड़े, बच्चे, महिला और पुरुष सभी सवार थे। अधिकांश तीर्थयात्री उत्तरप्रदेश से और दिल्ली के थे। बस जैसे ही 5.30 बजे के करीब पौनी इलाके के तेरयाथ गांव के पास पहुंची, वहां घात लगाए आतंकियों ने बस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं।
बस 300 फुट नीचे खाई में जा गिरी : बस के ड्राइवर ने गोली खाई। बस 300 फुट नीचे खाई में जा गिरी जिसकी वजह से तीर्थयात्रियों की जान बच गई। खाई में गिरने के बाद जैसे ही बस में चीख-पुकार और बच्चों के रोने की आवाज आती, आतंकी गोली बरसाना शुरू कर देते। लगभग 20 मिनट तक फायरिंग होती रही।
बस में बैठे लोगों को समझ आ गया था कि बचना मुश्किल है इसलिए उन्होंने मुंह बंद कर लिया। आतंकी लोगों ने समझा कि बस सवार खाई में गिरने से मर गए हैं और वे वहां से फरार हो गए। कुछ घायल तीर्थयात्रियों ने हिम्मत दिखाते हुए खुद को खाई से बाहर निकाला। वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने मदद करते आतंकी हमले के शिकार लोगो को अस्पताल पहुंचाया। मेरठ के रहने वाले प्रत्यक्षदर्शी प्रदीप के मुताबिक 34-35 लोग जीवित अस्पताल लाए गए हैं।
पैर बुरी तरह जख्मी हो गए, खून की धारा बह रही थी : प्रत्यक्षदर्शी पवन बताते हैं कि उनके पैर बुरी तरह जख्मी हो गए। खून की धारा बह रही थी। छोटा भाई साथ में था। बमुश्किल गोलीबारी के बीच में वे अपने भाई को लेकर सीट के नीचे छुप गए। जब गोली चलना बंद हुई तो वे बाहर आए। पवन का कहना है कि अब तक टीवी और लोगों से आतंकी हमले के बारे में सुना था, लेकिन वे खुद शिकार होंगे, ऐसा सोचा भी नहीं था।
जब बस पर हमला हुआ तो सभी यात्री सहम गए। लेकिन भगवान की महिमा के चलते और बस के ड्राइवर की कुर्बानी ने श्रद्धालुओं को बचा लिया, वरना बस में सवार सभी लोग मौत की आगोश में होते। आतंकी हमले को नजदीक से देखने वाले 3 लोगों का कहना है कि आतंकी हमला किसी भी देश के लिए सही नहीं है, इस पर सख्ती से एक्शन होना चाहिए।
रियासी में आतंकी हमले की सूचना जैसे ही मेरठ में पहुंची तो पुलिस व प्रशासन समेत 3 घायलों के परिवार में हड़कंप और रोना-पीटना मच गया था। मेरठ पुलिस ने समय रहते घायलों की उनके परिवार से बातचीत करवाकर मनोबल बढ़ाया और उन्हें मेरठ में लाकर उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है, जहां उनका उपचार चल रहा है।
मेरठ में घायल पवन, तरुण और प्रदीप की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग भी की जा रही है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया कि तीनों घायलों की स्थिति में काफी सुधार है। पवन को गंभीर चोट आई है जिसके चलते उनका उपचार कुछ समय मेडिकल कॉलेज में चलेगा जबकि अन्य 2 घायल प्रदीप और तरुण जल्दी घर चले जाएंगे।